नपुंसकता
नपुंसकता का परिचयः-
जीवन को सफल बनाने के लिए सेक्स ही सबसे सरल साधन है। स्त्री-पुरुष विवाह के बाद सेक्स संबंध बनाकर अपने प्रेम को बहुत अधिक ताकतवर तथा आनंददायक बना लेते हैं। लेकिन कई बार ऐसा वक्त भी आता है कि उनके सफल जीवन में सेक्स करने की क्षमता न होने के कारण आनंद नहीं मिल पाता है। कई पुरुष एक बार के सेक्स में असफल हो जाने के कारण अपने आप को नपुंसक मानकर वे अपना मानसिक संतुलन खो बैठते हैं और वे अपने मन में नपुंसकता का डर पैदा करके बुरी तरह से बेचैन और तनाव से भर जाते हैं।
मेडिकल के अंदर नपुंसकता को इंपोटेंसी भी कह सकते हैं। इस रोग में व्यक्ति मन के अंदर सेक्स के बारे में गलत विचार बनाए रखने की वजह से अपनी स्त्री को पूरी तरह से संतुष्ट नहीं कर पाता है। इस समय में युवा पुरुष सबसे ज्यादा इंपोटेंसी जैसे रोग से ही पीड़ित हैं। दूसरी तरह की नपुंसकता को इनफर्टिलिटी यानि नपुंसकता कहा जा सकता है। इसके अंदर पुरुष अपनी स्त्री को संभोग क्रिया करके उनको संतुष्ट तो कर देगें मगर उन पुरुषों के वीर्य में शुक्राणुओं की मात्रा कम होने की वजह से या बिल्कुल भी न होने की वजह से वे संतान पैदा नहीं कर सकते हैं या वे संतान पैदा करने में नाकाम रहते हैं।
इनफर्टिलिटी के कारणः-
इनफर्टिलिटी के कई कारण होते हैं, लेकिन इन तीन कारणों की वजह से मनुष्य में इनफर्टिलिटी की परेशानी पैदा हो जाती है-
यौनांग संबंधी गड़बड़ी ।
यौनांग में पूर्ण तनाव न आना ।
वीर्य में शुक्राणुओं का अभाव ।
1. यौनांग संबंधी गड़बड़ी-
यौनांग संबंधी गड़बड़ी निम्नलिखित कारणों की वजह से हो सकती है-
शिश्न (लिंग) का बहुत ही छोटा होना।
अण्डकोष बहुत ही नरम तथा छोटे होना।
लिंग का टेढा होना।
अण्डकोष का पेट में धंसा होना।
वे पुरुष जिसके अंदर स्त्रियों वाले गुण हो।
2. यौनांग में पूरी तरह से तनाव न आना-
यौनांग में पूरी तरह से तनाव नहीं आता हैं जिसके कई कारण हैं जैसे- नशीले पदार्थों का सेवन करना, किसी भी तरह का कोई भी तनाव, पागलपन की अवस्था, बहुत अधिक शारीरिक तथा मानसिक मेहनत करना, अधिक मात्रा में धूम्रपान करना, सिर पर गहरी चोट लगना या कोई सदमा लगना, नरवस सिस्टम में किसी तरह की गड़बड़ी हो जाना तथा हार्मोन के बिगड़ जाने की वजह के कारण से भी लिंग (शिश्न) में बिल्कुल भी तनाव पैदा नहीं होता हैं।
इसके विपरीत नींद न आना, उच्च रक्तचाप, पागलपन का होना तथा अल्सर आदि की दवाओं का रोजाना इस्तेमाल करने से, पुरुष में किसी भी तरह की कमी होने पर, प्रोस्टेट ग्लैंड या मूत्रनली के रोग तथा सिफलिस जैसे यौन रोग होने के कारण शिश्न में पूरी तरह से उत्तेजना नहीं होने के कारण कई बार मनुष्य अच्छी तरह से संभोग क्रिया नहीं कर पाता और वह नपुंसकता का शिकार हो जाता है।
3. वीर्य में शुक्राणुओं की कमीः-
कई बार पुरुष बच्चे पैदा करने में सफल नहीं हो पाता है क्योंकि उनके वीर्य में शुक्राणुओं की कमी होती है। पुरुष के वीर्य के अंदर शुक्राणुओं की कमी होने के कई कारण होते हैं जैसे- पुरुष के लिंग के अंदर संक्रमण होने के कारण, शुक्रवाहिनी में कोई रूकावट होने के कारण, तपती धूप में कार्य करने के कारण, शुक्राणुओं का सही तरीके से तैयार न होने के कारण तथा कई और अन्य प्रकार के प्रभावों की वजह से भी शुक्राणुओं की कमी हो जाती है।
इनफर्टिलिटी की जांचः-
जब कोई स्वस्थ पुरुष सेक्स क्रिया करने के बाद अपने वीर्य को निकालता है तो उसका लगभग 3 से लेकर 5 मिलीलीटर तक वीर्य बाहर आता है। जब मनुष्य का वीर्य निकलता है तो उस वीर्य में कम से कम 8 से लेकर 10 करोड़ शुक्राणु होते हैं। वीर्य में 40 प्रतिशत से अधिक शुक्राणु पुरुष के बीमार होने, वीर्य की मात्रा एक मिलीलीटर से अधिक कम होने से, कमजोर होने से, वीर्य में मवाद पड़ जाने से तथा वीर्य में खून होने से भी वीर्य को सही नहीं माना जाता है या बेकार माना जाता है।
पुरुष के वीर्य में शुक्राणुओं की मात्रा कितनी है इसके बारे में वीर्य की जांच करवाने से ही पता लगाया जा सकता है। शुक्राणुओं की मात्रा के बारे में पता करने के लिए स्त्री-पुरुष के संभोग करने के बाद स्त्री के योनिमुख के द्वार से वीर्य को लेकर उसकी जांच के द्वारा पता लगाया जाता है। इस तरह से शुक्राणुओं की सही मात्रा के बारे में मालूम हो जाता है। इससे यह भी पता चल जाता है कि वीर्य ने योनि की नली के अंदर प्रवेश किया है या नहीं किया है। इस तरह से सही ढ़ग से सेक्स क्रिया करने के बारे में भी मालूम हो जाता है।
वीर्य में शुक्राणुओं की कमी के बारे में पता लगाने के लिए तीन चीजों की आवश्यकता होती है-
1. शुक्रवाहिनी का एक्स-रे,
2. अण्डकोषों की बायोप्सी,
3. हार्मोन टेस्ट।
शुक्राणुओं की कमी के बारे में मालूम हो जाने पर इसका इलाज करवाना शुरु कर देना चाहिए। अगर पुरुष के प्रोस्टेट ग्लैंड, अण्डकोष तथा लिंग (शिश्न) के अंदर किसी भी प्रकार की कोई कमी हो तो शीघ्र ही उसे सर्जरी करवा कर समाप्त किया जा सकता है। माइक्रो सर्जरी के द्वारा भी शुक्रवाहिनी के अंदर कोई रूकावट हो तो वो भी ठीक हो जाती है।
जिन पुरुषों को संतान नहीं होती है उन पुरुषों को चाहिए कि वे अपनी पत्नी के साथ-साथ स्वयं की भी जांच करवा ले तो इससे इनफर्टिलिटी के सही कारणों के बारे में मालूम हो जाएगा।
इंपोटेंसी के कारणः-
अगर किसी वजह से पुरुष के लिंग की नलियों के अंदर किसी तरह की कोई भी कमी हो जाए तो उसके लिंग (शिश्न) के अंदर तनाव उत्पन्न होना बंद हो जाता है। पुरुष की उम्र के साथ ही साथ उसके शरीर की कोशिकाओं के अंदर ताकत समाप्त होती जाती है। युवावस्था में पुरुष के शिश्न के अंदर तनाव जल्दी ही पैदा हो जाता है तथा बुढ़ापे की अवस्था में तनाव बहुत ही देरी से होता है। युवावस्था के अंदर दिल काफी ताकतवर होता है तथा शरीर के अंदर के खून का उतार-चढाव अधिक तेजी से होता है और उनके शरीर में हार्मोन भी ठीक प्रकार से अधिक मात्रा में बनते रहते हैं, इसलिए युवावस्था में लिंग (शिश्न) का तनाव सही रूप से होता है। इसके विपरीत प्रौढ़ावस्था में शरीर के काम करने की क्रिया ढीली पड़ जाती है तथा उनके खून का उतार-चढाव कम हो जाता है और लिंग के अंदरूनी अंगों की दीवारे सख्त हो जाती है।
इस वजह से शरीर की नसों के अंदर खून का उतार-चढाव पूर्ण रूप से नहीं हो पाता है जिसकी वजह से शिश्न (लिंग) में तनाव हो पाने के अंदर कमी आ जाती है। कई बार कभी-कभी युवावस्था में भी लिंग (शिश्न) की नलियों में वसा के इकठ्ठे हो जाने के कारण से भी लिंग (शिश्न) के अंदर खून के उतार-चढाव की ताकत कम हो जाती है और पूर्ण रूप से शिश्न में उत्तेजना नहीं आ पाता है।
इंपोटेंसी के कारणः-
पुरुष के सेक्स क्रिया करते समय उसके लिंग (शिश्न) में पूर्ण रूप से तनाव नहीं आ पाता है जिसकी वजह से पुरुष संभोग क्रिया नहीं कर पाता है यह इंपोटेंसी का मुख्य लक्षण होते हैं।
लिंग (शिश्न) के अंदर दो प्रकार की नसें होती हैं-
1.धमनी.
2. शिरा।
जब धमनियों के अंदर ताजा खून जाता है तो उस समय लिंग (शिश्न) के अंदर सख्त तनाव आ जाता है और नसें उस जगह से पुराना खून ले जाती है। इसका मतलब यह है कि जब पुरुष की सेक्स क्रिया जागृत होती है तो उसकी धमनियां खुल जाती है और उसकी नसें बंद हो जाती है। नसों के बंद हो जाने की वजह से धमनियों में पहुचां हुआ खून बाहर नहीं निकल पाता और लिंग (शिश्न) तनकर सख्त हो जाता है। अगर किसी वजह से लिंग की नलिकाओं में खून का बहाव सही ढ़ग से नहीं हो पाता है तो लिंग के अंदर तनाव अथवा उत्तेजना नहीं हो पाती है। इस वजह से पुरुष के अंदर नपुंसकता रोग पैदा हो जाता है।
नपुंसकता के प्रकारः –
नपुंसकता कई प्रकार से हो सकती है-
1. मानसिक नपुंसकताः-
मानसिक नपुंसकता कई वजह से होती है जैसे- शरीर के अंदर किसी प्रकार की मानसिक चिंता, किसी प्रकार का डर, शरीर के अंदर गुस्सा आना, किसी चीज से नफरत करना, शर्म महसूस करना, किसी से लड़ाई-झगड़े होने पर, लड़की के द्वारा पसंद न आना, किसी प्रकार का कोई काम न करने के कारण तथा आर्थिक समस्या के कारण भी मानसिक नपुंसकता पैदा हो जाती है।
2. मानसिक विकार से उत्पन्न नपुंसकताः-
शरीर के अंदर किसी प्रकार का कोई तनाव, शिजोफ्रेनिया, मेनिया, किसी प्रकार की मानसिक चिंता तथा मिरगी के कारण उत्पन्न नपुंसकता पैदा हो जाती है।
3. अत्यधिक मैथुन से पैदा हुई नपुंसकताः-
अधिक मात्रा में शारीरिक संबंध बनाना, अधिकतर स्त्रियों के साथ संभोग क्रिया करना, बहुत अधिक मात्रा में हस्तमैथुन करना तथा अप्राकृतिक तरीके से मैथुन में मन लगाने से भी शरीर में नपुंसकता आ जाती है।
4. रोग के होने की वजह से नपुंसकताः-
शूगर रोग के हो जाने के कारण, टी.बी. रोग के हो जाने के कारण, हाईब्लड़प्रैशर के होने के कारण, कोलेस्ट्राल तथा हाइड्रोसील का ऊचा स्तर बढ़ जाने के कारण से भी नपुंसकता जैसा रोग हो जाता है।
5. चोट लगने के कारण पैदा हुई नपुंसकताः-
लिंग, दिमाग, रीढ़ की हड्डी, अण्डकोष तथा जननांग में खून का उतार-चढाव करने वाली नसों की जगह पर किसी प्रकार की चोट लगने के कारण से भी नपुंसकता पैदा हो जाती है।
6. दवाओं के प्रयोग से पैदा नपुंसकताः-
पेट के दर्द, उच्च रक्तचाप, दिल के रोग, मानसिक रोग और एंटीबायोटिक आदि दवाओं का रोजाना इस्तेमाल करने से भी नपुंसकता का रोग पैदा हो जाता है।
7. यौन रोग से पैदा हुई नपुंसकता-
अण्डकोष में ट्यूमर का होना या कैंसर का होना, गानोरिया, मंपस या गंभीर रूप से शीतला माता का होना, सिफलिश तथा वायरस के हमले से अण्डकोष पर जोर पड़ने की वजह से नपुंसकता में कमी आ जाती है।
8. नशीले पदार्थो के सेवन से पैदा हुई नपुसंकताः-
कई नशीले पदार्थो के रोजाना इस्तेमाल करने से जैसे- भांग के सेवन से, गांजा के सेवन करने से, अफीम के सेवन से, चरस के सेवन से, मार्फीन, पैथोडीन, ब्राउन शुगर (स्मैक), धूम्रपान तथा शराब के सेवन करने से भी नपुंसकता आ जाती है।
9. हार्मोन के अंदर गड़बड़ी से पैदा हुई नपुंसकताः-
सेरोटोनिन, टोस्टोस्टेरान, पी.ई.ए., वासोप्रेशिन, पिट्यूटरी, थाइमस, थाइराइड, विनियल, एड्रेनेलिन, गोनाड्स, लैंगर हैंस हार्मोन के बहाव में कमी तथा पैराथाइड के कारण से भी नपुंसकता में कमी आ जाती है।
काम विकृति से पैदा हुई नपुंसकताः-
ट्रान्ससेक्सअलिज्म, ट्रान्सवेस्टिज्म, समलिंगी तथा सेक्सअल अनलिज्म के कारण भी नपुंसकता पैदा हो जाती है।
गलत बातों से पैदा हुई नपुंसकताः-
पुरुषों के अंदर कई प्रकार से नपुंसकता के गुण पैदा हो जाते हैं जैसे- कई बार लिंग के छोटे-बड़े हो जाने के आकार को लेकर मन के अंदर कई प्रकार के भ्रम पैदा हो जाते हैं, अखबारों के अंदर दिए गए इस्तिहारों के द्वारा मन में कई प्रकार की आशंका पैदा हो जाना, मित्रों के द्वारा बताई गई गलत जानकारी के देने से, इधर-उधर की किताबों के द्वारा पढ़ी गई गलत जानकारी के देने से, योनि के आकार को लेकर मन में आई आशंका को लेकर भी नपुंसकता पैदा हो जाती है।
आपरेशन के होने के बाद शीघ्र बाद ही आई नपुंसकताः-
प्रोस्टेट ग्लैंड के कारण, हर्निया के आपरेशन के कारण, कमर के आपरेशन के कारण, हाइड्रोसील, दिमाग के आपरेशन के कारण तथा रीढ़ की हड्डी के आपरेशन के कारण और कैंसर के इलाज के लिए ली गई कीमो थेरेपी के कारण से भी नपुंसकता पैदा हो जाती है।
वीर्य के नष्ट हो जाने के कारण से पैदा हुई नपुंसकताः-
तेज चटपटे पदार्थो के अधिक इस्तेमाल करने से, खट्टे पदार्थो के सेवन से, फास्ट फूड पदार्थो के सेवन से, अधिक गर्म पदार्थो के सेवन से, नमकीन पदार्थो के सेवन से तथा ठंडे पदार्थो (कोका-कोला) जैसे पदार्थो का अधिक सेवन करने से भी शरीर के अंदर नपुंसकता पैदा हो जाती है।
14. अन्य कारणों से भी नपुंसकता पैदा होनाः-
सेक्स करते समय सही तरीके से सेक्स के बारे में मालूम न होना, स्त्री के साथ उम्र का बहुत ही ज्यादा अंतर होना, प्रौढ़ावस्था के अंदर सेक्स करना, संभोग क्रिया को करना एक बहुत ही बड़ा गलत कार्य समझना, सेक्स करते समय जल्दबाजी करना या छूप-छूप कर सेक्स करना, दूसरी स्त्रियों के साथ सेक्स संबंध बनाना, पूरी तरह से अपनी पत्नी का सेक्स करते समय साथ न मिलना, संभोग क्रिया करते समय जल्दी ही वीर्य के निकल जाने पर पत्नी के द्वारा धिक्कारना, अकेले शांत जगह पर सेक्स क्रिया न करना तथा अपनी स्त्री पर शक पैदा करने के कारण से भी नपुंसकता पैदा हो जाती है।
नपुंसकता की किस तरह से पहचान करेः-
नपुंसकता को बड़ी ही आसानी से पहचाना जा सकता है जैसे- जब कोई पुरुष जगा हुआ होता है और उसके लिंग (शिश्न) में किसी भी प्रकार का कोई भी तनाव पैदा नहीं होता है और सोते समय उस के लिंग में बहुत ही सख्ती से तनाव पैदा हो जाता है तो उसे यह समझना चाहिए कि वह पुरुष नपुंसकता का रोगी हो गया है। लेकिन उसे यह भी जान लेना चाहिए कि यह कोई किसी प्रकार का शारीरिक विकार नहीं है तथा इस परेशानी को दूर भी किया जा सकता है।
महत्वपूर्ण उपयोगः-
नपुंसकता रोग होने पर घबराना नहीं चाहिए। यह रोग किसी भी पुरुष को किसी भी उम्र में हो सकता है।
यह बात बिल्कुल गलत है कि नपुंसकता का रोग होने के बाद पुरुष कोई भी कार्य करने में असमर्थ रहता है। नपुंसकता के रोग को समाप्त करने के लिए तो बहुत से उपाय है जिसको उपयोग में लाकर सेक्स का मजा लिया जा सकता है।
युवावस्था या प्रौढ़ावस्था के अंदर नपुंसकता के रोग की शिकायत होने पर इसको समाप्त करने के लिए और भी अन्य तरीके अपना सकते हैं।
नपुंसकता के रोग में एक तरीका कामयाब नहीं होने पर दूसरे तरह का उपाय अपना सकते हैं।
नपुंसकता का रोग अधिकतर शादी हो जाने के बाद अपने आप ही समाप्त हो जाता है।
नपुंसकता की जांच कैसे करेः-
नपुंसकता होने वाले पुरुष 9 प्रतिशत मानसिक तथा बाकी के बचे हुए 1 प्रतिशत पुरुष नशीले पदार्थ जैसे- शराब, ड्रग्स, धूम्रपान तथा किसी प्रकार की अन्य बीमारी की वजह से उन पुरुषों को नपुंसकता के रोग की शिकायत पैदा हो जाती है। अगर 7 प्रतिशत लोग जो नपुंसकता के शिकार है अगर वे अपनी परेशानी पर थोड़ा भी इस तरफ ध्यान दें तो वे अपनी इस समस्या को स्वयं ही काबू में ला सकते हैं। परन्तु 3 प्रतिशत पुरुष को ही डाक्टरों के पास जाने की ही जरुरत पड़ सकती है।
नपुंसकता रोग के होने पर कभी भी झोले छाप नीम-हकीमों के पास नहीं जाना चाहिए बल्कि नपुंसकता के रोग की परेशानी होने पर किसी अच्छे डाक्टर से मिलना चाहिए। नपुंसकता के रोग को ठीक करने के लिए कई तरह का ईलाज किया जा सकता है।
एन.पी.टी. (नाक्टर्नल पेनाइल ट्युमेसन्स) टेस्टः-
एन.पी.टी टेस्ट रिजीस्कैन नामक मशीन के द्वारा किया जाता है। इन मशीनों के तारों को रात को समय लिंग के साथ जोड़ दिया जाता है। फिर नींद के आने के बाद लिंग (शिश्न) में होने वाले तनाव के रिजीस्कैन के मानिटर के द्वारा ग्राफ के ऊपर उतार लिया जाता है। डाक्टर लोग इस ग्राफ के द्वारा मालूम कर लेने पर यह इस बात का पता लगाते हैं कि नपुंसकता का रोग शारीरिक है या मानसिक कारण से।
आई.पी.सी. (इंट्रा पापवेरीन कैव्हर्नस) टेस्टः-
लिंग के अंदर पापवेरीन दवा को इंजेक्शन के द्वारा लिंग के अंदर उत्पन्न होने वाले तनाव के बारे में मालूम लगाया जाता है। आई.पी.सी. टेस्ट के द्वारा भी वेन लीकेज तथा मज्जा तंतु की होने वाली सूजन आदि के दोषों के बारे में पता लगाया जा सकता है। मानसिक विकारों के कारण से होने वाली नपुंसकता में आई.पी.सी. टेस्ट निगेटिव ही आता है।
डापलर स्कैनरः-
इस टेस्ट को करने के लिए भी पापवेरीन दवा को इंजेक्शन के द्वारा लिंग के अंदर डाली जाती है। इसके बाद लिंग के खून को प्रवाहित करने वाली (रक्तवाहिनी) के खून के उतार-चढाव के बारे में स्पष्ट रुप से मानिटर पर देख कर और उसकी (खून की) तेजी के बारे में अनुमान लगाकर इसके दोष के बारे में मालूम किया जा सकता है।
वी.एस.टी. (विजुअल स्टीम्युलेशन) टेस्टः-
इस टेस्ट को करने के लिए रोगी को लिंग (शिश्न) की तस्वीर, अप्राकृतिक लिंग और गंदी फिल्मों को दिखाकर उस रोगी के लिंग (शिश्न) के तनाव के होने वाली स्थिती के बारे में कुछ बातों के बारे में मालूम किया जा सकता है।
हार्मोन की जांचः-
सेरोटोनिन, पिनियल, टेस्टोस्टेरान, थाइमस, पिट्यूटरी, गोनाड्स, थाइराइड, एड्रेनेलिन, लैंगर हैंस तथा प्रोलैक्टिन आदि हार्मोन्स की मात्रा के बारे में पता लगाया जा सकता है।
खून की जांचः-
खून की जांच करके शूगर (मधुमेह) का पता लगाना, कोलोस्ट्राल तथा लीपीड, एथिरोस्कलेरॉसिस आदि के बारे में मालूम किया जा सकता है।
वीर्य की जांचः –
इस जांच के द्वारा वीर्य में शुक्राणुओं की गति के बारे में तथा मात्रा के बारे में मालूम किया जा सकता है। वीर्य की जांच करवाने से अंडकोषों के कार्य करने की गति के बारें में पता लगाया जा सकता है।
नपुंसकता का उपायः-
निम्नलिखित जांच करके नपुंसकता के रोग के बारे में पता लगाने के बाद इसका इलाज किया जा सकता हैः-
मानसिक उपायः-
सेक्स के बारे में पूर्ण जानकारी का न होना, संभोग क्रिया न कर पाने के डर से और संभोग करने को पाप समझ लेना, सेक्स के विषय में चिंतित होना, संभोग न कर पाने के कारण निराश होना आदि कारणों से भी पैदा हुई मानसिक नपुंसकता को समाप्त करने के लिए भी मानसिक उपाय किया जाता है। डाक्टर से सलाह लेकर मानसिक नपुंसकता जैसे रोग को समाप्त किया जा सकता है। एक प्रसिद्ध विशेषज्ञ के अनुसार मनोचिकित्सक के द्वारा नपुंसकता के रोग की शिकायत जल्दी ही समाप्त की जा सकती है। रोगी के मुरझाए मन में सेक्स को लेकर डर बैठ जाना भी मानसिक नपुंसकता का एक प्रमुख कारण होता है। रोगी के इस डर को विशेषज्ञ सायको थेरेपी के द्वारा समाप्त कर सकते हैं।
सेक्स के बारे में कुछ-कुछ बातों के बारे में भी ज्ञान होना चाहिए जैसे- संभोग क्रिया करते समय हमें किस तरह दिखना चाहिए, सेक्स करते समय हमें स्त्री के किन-किन कोमल अंगों का स्पर्श करना चाहिए, संभोग क्रिया करते समय हमें किन-किन आसनों का प्रयोग करना चाहिए तथा किस तरह पता लगाए कि स्त्री पूर्ण रुप से संतुष्ट हो चुकी है या नहीं आदि इस तरह के बारे में बताया जाता है कि जिसकी वजह से पुरुष के अंदर सेक्स करने की ताकत बढ़ती है। संभोग क्रिया के बारे में सही जानकारी हो जाने पर पुरुष के दिल से सेक्स के प्रति डर भाग जाता है। पुरुष की खत्म हुई सेक्स ताकत वापस आ जाती है तथा वह दुबारा से सेक्स करने के काबिल हो जाता है।
पत्नी का साथः-
अगर मानसिक नपुंसकता से परेशान पुरुष की पत्नी अगर अपने पति की सही ढ़ग से इलाज करे तो वह पुरुष शीघ्र ही ठीक हो सकता है। इस रोग से पीड़ित रोगी को सेक्स करते समय सुख की प्राप्ति होने की बजाय अपनी पत्नी के खुश नहीं होने का डर बहुत ही अधिक परेशान करता है। यदि नपुंसकता के रोग से पीड़ित पुरुष की स्त्री संभोग क्रिया से निपटने के बाद अगर वह अपने पति से यह कह दें कि वह उससे प्रसन्न है तो नपुंसकता के रोग से पीड़ित उसके पति की आत्मशक्ति और अधिक बढ़ जाती है। इस तरह से उसके अंदर संभोग करने की शक्ति भी काफी आ जाती है तथा दुबारा वह बहुत अधिक ज्यादा जोश और ताकत के साथ संभोग कर सकेगा। स्त्री का साथ मिल जाने से पुरुष में खोई हुई आत्मशक्ति वापस लौट आती है।
एंड्रालॉजिकल सर्जरीः-
कई बार पुरुष के लिंग (शिश्न) में खून के न रुकने की वजह से लिंग की खून की नलिकाओं में लीकेज हो जाता है। जिसकी वजह से खून नहीं रुकता है और लिंग में किसी भी तरह का कोई तनाव पैदा नहीं होता है। एंड्रालॉजिकल सर्जरी के द्वारा इस लीकेज को दूर किया जा सकता है। इस लीकेज के समाप्त हो जाने पर पुरुष के लिंग में दुबारा से तनाव पैदा होना के वजह से वह रोगी संभोग क्रिया करने में भली प्रकार से सफलता हासिल कर लेता है।
पेनाइल बाइपास सर्जरीः-
लिंग के अंदर स्थित अधिक रक्त को संचालित करने वाली नली को कम प्रैशर देने वाली लैंगिक नली के साथ जोड़ दिया जाता है। जिसकी वजह से लिंग के अंदर पूर्ण रुप से तनाव पैदा होने लगता है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह सर्जरी सही ढ़ग से नही की जाती है तो रोगी के लिंग में तनाव पैदा नहीं होगा।
पेनाइल इम्प्लांटः-
लिंग की सर्जरी करके पेनाइल प्रोस्थेटिक डिवाइस के साथ लगा कर दिया जाता है। पूर्ण तरह से नपुंसक पुरुष पेनाइल प्रोस्थेटिक डिवाइस बहुत ही काफी अच्छा तरीका है। इसका इलाज करवाना काफी महंगा होता है।
पेनाइल इंजेक्शन थेरेपीः-
प्रोस्टेग्लेंडिन ई-1, फेंटोलामाईन तथा पापवेरीन आदि दवाओं को इंजेक्शन में डालकर लिंग में प्रवेश कर दिया जाता है। जिसके बाद लिंग में शीघ्र ही अधिक शक्तिशाली तनाव पैदा हो जाता है।
प्लॉसिबो थेरेपीः-
जो पुरुष अपने मन के अंदर नपुंसकता का भ्रम पैदा किये रहते हैं यह थेरेपी उन पुरुषों को दी जाती है। अःत इस थेरेपी से झूठा इलाज किया जाता है। कई बार डाक्टर रोगी के दिमाग के अंदर सही बातों को पैदा करने के लिए विटामिन के कैप्सूल तथा इंजेक्शन आदि लगा देते हैं। इस तरह से इलाज करने के बाद कुछ ही दिनों में नपुंसकता से शिकार रोगी को अपने शरीर के अंदर अधिक शक्ति महसूस होने लगती है। प्रसिद्ध यौन चिकित्सकों का कहना है कि प्लॉसिबो थेरेपी मानसिक नपुंसकता से परेशान रोगियों के लिए बहुत अधिक लाभकारी है।
टेस्टोस्टेरॉन थेरेपीः-
जिन पुरुषों के अंदर टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन की कमी के कारण संभोग करने की शक्ति कम हो जाती है, वे पुरुष टेस्टोस्टेरॉन थेरेपी का इस्तेमाल कर सकते हैं। शरीर के अंदर टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन के साथ ही साथ कुछ अन्य हार्मोन का सही मात्रा में लिकेज होने की वजह से ही सेक्स जीवन हमेशा खुशहाल रहता है। सेक्स के अंदर लगाव कम होने का सबसे बड़ा कारण हार्मोन के लिकेज में किसी भी तरह की कमी का होना होता है।
एक स्वस्थ तथा सामान्य पुरुष के अंदर खून की कम से कम मात्रा 300 नैनो ग्राम टेस्टोस्टेरॉन होनी चाहिए। अगर स्वास्थ्य की निगाह से देखा जाए तो प्रति डेसीबल खून में 300 से 1000 नैनोग्राम टेस्टोस्टेरॉन की मात्रा सही मानी गई है। टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन की मात्रा शरीर में कम हो जाने की वजह से संभोग क्रिया करने में उत्सुकता कम हो जाती है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है वैसे-वैसे ही टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन के कार्य करने का स्तर गिरता जाता है। 20 से 30 साल की उम्र होने तक शरीर के अंदर इसका कार्य बढ़ता रहता है तथा 60 साल की उम्र होते-होते इसके निर्माण में बहुत अधिक गिरावट आ जाती है। कई बार किसी-किसी पुरुष में भी बढ़ती उम्र के साथ ही साथ इसके स्तर में कमी नहीं आती है।
एक सर्वेक्षण के अनुसार आज भी कई पुरुष 75 साल की उम्र में भी सेक्स के प्रति तंदुरूस्त पाए गए है उन पुरुषों के अंदर टेस्टोस्टेरॉन की मात्रा काफी अधिक मौजूद थी। लेकिन जब उन के टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन का स्तर घट जाता है तो संभोग करने की इच्छा शक्ति तथा शारीरिक ताकत में बहुत अधिक कमजोरी आ जाती है। इसके अलावा शरीर की शारीरिक ऊर्जा, ताकत और अंगों की कौशलता भी कम हो जाती है। उदास होना, शरीर का सुस्त होना, निराश होना तथा मानसिक कमजोरी आदि होना भी टेस्टोस्टेरॉन की कमी का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
टेस्टोस्टेरॉन का निर्माण मस्तिष्क में समपन्न पिटयूटरी ग्रंथि के द्वारा ही होता है। इस ग्रंथि के द्वारा फॉलिकल स्टीमुलेटिंग हार्मोन और ल्यूटिनाइजिंग खून की वाहिनियों के द्वारा अण्डकोष में भेजे जाते हैं जो टेस्टोस्टेरॉन तथा वीर्य के कार्य करने की प्रक्रिया शुरू करते हैं। पिट्यूटरी ग्रंथि के काम करने में गड़बड़ी तथा अण्डकोष के लेंडिग सेल्स में कमी हो जाने की वजह से ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन के बहाव में रूकावट आ जाती है जिसकी वजह से टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन के बहाव में भी रूकावट आ जाती है। इसके विपरीत कोई सदमा बैठ जाने से, किसी प्रकार की कोई चिंता हो जाने पर, शारीरिक तथा मानसिक उत्तेजना होने पर, शराब अधिक पीने पर, अधिक समय से चली आ रही बीमारी होने पर तथा अधिक मात्रा में धूम्रपान करने आदि कारणों से भी टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन का स्तर काफी कम हो जाता है।
जिन पुरुषों के लिंग में पूरी तरह से तनाव न होने की शिकायत होती है तथा उन पुरुषों का किसी भी समय सेक्स करने का मन न करने की शिकायत होने पर उन पुरुषों को अपने मूत्र तथा रक्त की जांच अवश्य ही करवानी चाहिए। यदि उनके खून में टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन की कमी है तो उनके संभोग क्रिया करने में कमी आ जाती है। ऐसा होने पर कभी भी कामशक्ति को बढाने वाली किसी भी प्रकार की दवाओं का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
नपुंसकता का उपचारः-
1. अफीमः-
सफेद संखिया तथा शुद्ध अफीम- इन दोनों को 15-15 ग्राम की मात्रा में लेकर 5 लीटर गाय के दूध के अंदर अच्छी तरह से मिलाकर इसके अंदर दही का जामन देकर इसे जमाने के लिए रख दें। सुबह होने के पश्चात इस दही को अच्छी तरह से बिलोकर इसका मक्खन निकाल लें।
इसके बाद इस निकाले हुए शुद्ध घी को एक चावल के दाने के बराबर लेकर पान के साथ खाने से तथा लिंग के अग्र भाग (टोपी) को छोड़कर लिंग पर लगाने से नपुंसकता समाप्त हो जाती है।
2. पीपल की छालः-
पीपल की छाल, जड़ व कोपलें तथा फल- इन चारों को आधा लीटर गाय के दूध में अच्छी तरह से पका कर इस दूध को छान लें। इसके बाद इस दूध में 25 ग्राम देशी खांड या पीसी हुई मिश्री तथा 15 ग्राम शुद्ध शहद को मिलाकर लगभग 3 से 4 महिनों तक इस दूध को रोगी को पिलाए, इस दूध को पीने से सेक्स करने की ताकत बहुत अधिक बढ़ जाती है और लिंग के होने वाले अन्य रोग भी समाप्त हो जाएंगे।
3. सफेद प्याजः-
सफेद प्याज के 10 ग्राम रस को 5 ग्राम शुद्ध शहद के अंदर मिलाकर सुबह और शाम दोनों समय रोजाना खाते रहने से रक्त के दोष के कारण उत्पन्न नपुंसकता समाप्त हो जाती है।
4. मुलहटीः-
मुलहटी के चूर्ण के अंदर शुद्ध घी और शहद को समान मात्रा में मिलाकर खाने से और उसके ऊपर से चीनी मिला हुआ मीठा दूध पीने से शुक्राणुओं की कमी से आई नपुंसकता खत्म हो जाती है।
5. जायफलः-
जायफल, केशर और जावित्री- इन तीनों को 1 से 2 ग्राम की मात्रा में लेकर 15 ग्राम मीठे बादाम के तेल में खूब बारीक कूट-पीसकर लिंग पर लेप करने से तथा पान में रखकर खाने से अप्राकृतिक ढ़ग से किया हुआ मैथुन से पैदा हुई नपुंसकता समाप्त हो जाती है। लिंग के अंदर बहुत ही अधिक ताकत आती है।
अगर पुरुष के अंदर नपुंसकता मानसिक है और उसके अंदर शारीरिक रूप से किसी भी तरह की कोई कमी के न होते हुए भी उस पुरुष को यह हीन भावना आ जाती है कि वह यह सोचता है कि मैं कोई काम कर काम कर पाऊंगा या नहीं, या किसी तरह का कोई डर, मन के अंदर किसी प्रकार का कोई संकोच, अकेले रहने की कमी, अपने मित्रों के साथ सम्मान या नफरत के देखना, सेक्स के प्रति कमजोरी होने से लिंग (शिश्न) में किसी भी तरह की कोई उत्तेजना न होना। लिंग के अंदर पूर्ण रूप से तनाव न हो पाने के कारण कई बार पुरुष अपने आप को सेक्स करने के काबिल नहीं समझता है। अगर उसके ये विकार (कारण) समाप्त कर दिए जाए तो उसे सेक्स क्रिया करने में रुचि अपने आप ही पैदा हो जाएगी तथा अगर नपुंसकता के रोग को अपने जीवन साथी का साथ मिल जाए, आंनद्दित वातावरण और संभोग क्रिया करने में सफल होने का पक्का विश्वास उत्पन्न हो जाए तो वह पुरुष सेक्स करने में सफल हो जाएगा।
कुछ सरल उपायः-
नपुंसकता के रोग को ठीक करने के लिए पुरुष को चिकित्सा के साथ-साथ स्वयं भी अपनी तरफ से पूरी तरह से कोशिश करनी चाहिए ताकि वे इस तरह के रोग से छुटकारा पा सके। वह अपना इलाज स्वयं कर सकता है जैसे-
रोगी को यह बात अपने दिल में बिठा लेना चाहिए कि जीवन को खुशी-खुशी बिताना चाहिए क्योंकि जीवन में जब तक भरपूर आनन्द नहीं मिल पाता तब तक जिंदगी में जीने का असली मजा नहीं मिल पाएगा। नपुंसकता के रोगी को अपने दिल के अंदर से किसी भी तरह का कोई भी डर बाहर निकाल देना चाहिए। जब प्रकृति और आज के समाज ने जवान होने से वृद्धावस्था तक पुरुष को स्त्रियों का साथ निभाने के लिए दिया है तो इस जीवन को स्त्री के साथ मिलकर सेक्स का आनन्द लेना चाहिए। इस तरह से जीवन का असली आनन्द मिलेगा।
अगर पुरुष पहली बार सेक्स करते समय सेक्स क्रिया में सफल नहीं हो पाता है तो उस पुरुष को किसी भी तरह से परेशान नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह कोई कमजोरी या किसी प्रकार का कोई रोग नहीं है। इस तरह से पहली बार में अक्सर हो जाया करता है। पुरुष को इस तरफ कोई ध्यान नहीं देना चाहिए बल्कि दुबारा से उसे मैथुन करने के काम में लग जाना चाहिए। इस तरह से असफल हो जाने पर स्त्री का भी फर्ज बनता है कि वह किसी भी तरह से कैसे भी पुरुष के अंदर हीन भावना पैदा न होने दें। अगर स्त्री सेक्स करने के बाद पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं हो पाती है तो उसे अपने चेहरे के हाव-भाव से यह महसूस नहीं करना चाहिए कि वह अधूरी रह गई है। बल्कि उसे अपने पति को मीठी-मीठी बातें और प्यार भरे स्वभाव से उसके जोश को और अधिक बढ़ाना चाहिए तथा उन्हें इस बात को भी जानना चाहिए कि अगर उसका पति खुश है तो ये सारा संसार खुश है।
पुरुष को कभी भी अपनी भावनाओं का लम्बे समय के लिए त्याग नहीं करना चाहिए। अगर पुरुष के मन के अंदर अपनी चरित्रहीन स्त्री को लेकर किसी प्रकार को कोई जोश है तो इस जोश को सारी स्त्री जाति के साथ मिला लेना कोई अच्छी बात नहीं है। अगर वह स्त्री किसी के समझाने से भी अपनी चरित्रहीनता को नहीं छोड़ पाती है तो उस चरित्रहीन स्त्री को तलाक देकर दूसरा विवाह कर लेना चाहिए।
पुरुष को बचपन के अंदर किए गए गलत आदतों को छोड़ देना चाहिए। हैंड प्रैक्टिस (हस्तमैथुन) जैसी गलत आदतों को भी छोड़ देना चाहिए तथा इसके साथ-साथ पशु-मैथुन, बहुत अधिक किया जाने वाला मैथुन और गुदा मैथुन ये सब एक सिमित समय तक ही अच्छा रहता है। इससे अधिक करने पर यह बहुत ही हानिकारक होता है। हो सकें तो इस तरह की आदतों से दूर ही रहें तो बहुत ही अच्छा होगा।
अगर स्त्री पूरी तरह से बन संवर कर अगर संभोग क्रिया करने में यदि पुरुष का साथ दे तो पुरुष की सेक्स करने की भावना काफी अधिक मात्रा में बढ़ जाती है, धीरे-धीरे यह अवस्था पुरुष की नपुंसकता को समाप्त करने में काफी लाभदायक होती है। क्योंकि पुरुष की नपुंसकता को समाप्त करने में स्त्री का साथ बहुत ही जरुरी होता है।
जो मनुष्य अपने आप को नपुंसक समझते हैं उन पुरुषों को बीच-बीच में सेक्स क्रिया जरुर करनी चाहिए, इस तरह से उनको मानसिक सुख भी प्राप्त होगा और उन्हें यह भी पता चल जायेगा कि वे किस सीमा तक वे अपने इस रोग से पीछा छुटा चुके है। नपुंसकता से जुडे पुरुष के लिए स्त्री की योनि का स्पर्श बहुत ही आवश्यक काम करता है। उन पुरुषों को चाहिए कि वे बहुत ही आराम-आराम से उनकी योनि को अपनी उंगलियों से स्पर्श करना चाहिए। इसके बाद हल्के उत्तेजित लिंग से योनि वाली जगह पर बार-बार घर्षण करें। इस क्रिया के करने से स्त्री जल्दी ही आनंदित हो जाती है। इस तरह से करने के बाद पुरुष को चाहिए कि जब स्त्री अधिक उत्तेजित हो जाए तो पुरुष अपनी उंगलियों से स्त्री की योनि का स्पर्श करें। इस तरह से इस क्रिया को करने से पुरुष अपनी स्त्री को ही रोमांचित करेगा बल्कि वह खुद भी आनंद महसूस करेगा।
इसके बाद हो सकता है कि वह धीरे-धीरे सेक्स क्रिया करने में सफलता हासिल कर लें।
अगर कोई पुरुष नपुंसकता का शिकार है तो उसे इस बात से घबराना नहीं चाहिए कि वो कभी भी सेक्स नहीं कर पाएगा। जब वह सेक्स करने में असफल होता है तो उसे अपने शिश्न को स्त्री की योनि से निकालकर किसी साफ कपड़े से अपने लिंग को साफ करके स्त्री की योनि से बार-बार स्पर्श करना चाहिए। इससे स्त्री को बहुत ही अधिक आनंद मिलेगा और उसके दिमाग में भी यह बात नहीं आएगी कि उसका पति नपुंसकता का रोगी था या नपुंसकता का रोगी है।
मस्तिष्क ही सेक्स को बढ़ाने वाला प्रथम अंग होता है। इसका सीधा संबंध थाइमस ग्लैंड के साथ ही होता है जो कि शक्ति का ही एक स्रोत है। यह शरीर के दूसरे भागों में ताकत को बांटता रहता है और समान मात्रा में बनाए रखता है। इसी तरह से टैस्टस भी एक बहुत ही अहम अंग है जो कि सीधा मस्तिष्क से जुड़ा हुआ होता है। वो लिंग के तनाव को सही अवस्था में लाता है। हृदय का भी ठीक ढ़ग से कार्य करना भी बहुत ही जरुरी है। अगर ये सब मिलकर या किसी एक का भी सही प्रकार से कार्य का न करना भी नपुंसकता की वजह बन सकती है। इसलिए चिकित्सा से या अपने आप किया गया उपचार का करने के लिए सही प्रकार से ध्यान देना चाहिए।
नपुंसकता के रोग को बगैर दवाओं से ठीक करनाः-
नपुंसकता के रोगी को मछली, मांस, दूध तथा जलेबी, घी, मक्खन, अण्डे, पिस्ता, अंगूर, नारियल, चिलगोजे, बादाम, आम, प्याज, शहद और छुहारा का सेवन करना काफी फायदेमंद है। इन सभी चीजो को दूध में मिलाकर या अन्य किसी भी तरीके से अण्डे को खाकर इसके ऊपर से दूध पी लेने से यह नपुंसकता के रोग के लिए एक बहुत ही अच्छा साधन है।
नपुंसकता के रोगी अगर उस्तरे से शिश्न (लिंग) के आस-पास उग आए बाल को रोजाना के समय साफ कर लें तो इस क्रिया के करने से उनके लिंग में तनाव तेजी से आने लगता है।
कई पुरुष अपने व्यापार तथा अपने काम धंधे में लगे रहने के सेक्स के लिए जरा सा भी समय नहीं निकाल पाते वे पुरुष अपने आप को नपुंसकता का रोगी महसूस करने लगते हैं। पुरुष को सदा हंसी-खुशी से, घूम-फिर कर, प्यार-मुहब्बत तथा मनोंरजन के द्वारा यह समझना चाहिए कि संसार में सब दुखों का इलाज है। इस तरह की बातों से वह नपुंसकता के रोग से मुक्ति पा सकता है।
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