पेट के कीड़े – Stomach Worms
मानव के शरीर में अन्दर और बाहर कई प्रकार के कीड़े पाये जाते हैं, जिनसे काफी पीड़ा होती है।
बाहरी कीडे़ :
लीख, जूं और जम जूं आदि। लीखें- लीखे बहुत छोटे आकार की होती है `जमजूं´-जमजूं हमेशा सफेद रंग की होती है तथा त्वचा और कपड़ों से चिपकी रहती है `जुएं´- जुएं काले, लाल और सफेद रंग के और आकार में थोड़े से बड़े होते हैं। ये हमेशा बालों में रहते हैं।
आंतरिक कीडें
अन्य प्रकार के कीड़े शरीर के भीतर रहते हैं और विभिन्न आकारों और रंगों के होते हैं। यह शरीर के अन्दर कई कारणों से प्रवेश कर सकते हैं जैसे- छोटे बच्चों द्वारा घर में या इधर-उधर पड़ी चीजों को खा लेने से, मिट्टी द्वारा, दूषित पानी पीने से, घाव में सड़न होने से, घाव या चोट का मक्खियों या अन्य दूषित वस्तुयों के संपर्क में आने से, दूषित वातावरण में रहने या जाने से आदि।
जो लोग स्वास्थ्य के नियमों, शुद्ध पानी और शुद्ध पेय का सेवन नहीं करते हैं वह लोग पेट के कीड़ों से ज्यादा पीड़ित होते हैं। ये मल, कफ, रक्त (खून) के साथ शरीर के बाहर निकल जाते हैं। छोटे कृमि (कीड़ों) को `चुनने´ और बडे़ कृमि (कीड़े) को `पटेरे` कहते हैं। ये कीड़े कई प्रकार के होते हैं जिनका वर्णन इस प्रकार से हैं-
पहला – सूत्र कृमि (थ्रेड वर्म्स), चुरने, पिन वर्म्स, मलज कीडे़ – सूत्र (धागे) वह कृमि होते हैं जो छोटे-छोटे ये कीड़े दल बांधकर मल के द्वार के पास निवास करते हैं। सृत्र कृमि (कीड़े) नर 2.5 मिमी होता है। ये कभी-कभी पेशाब करने की नली (मूत्रनली) या योनि के पास भी पहुंच जाते हैं और वहां खुजली और जलन पैदा करते हैं। ये छोटे-छोटे कीड़े या चुन्ने (चनूने) कीड़े बच्चों में अधिक होते हैं और काफी दर्द भी करते हैं।
इस प्रकार के कीड़े गुड़ या मीठे खाद्य पदार्थो का सेवन करने से होते हैं। इसका प्रमुख लक्षण है कि नींद में सोते-सोते दांत चबाना, नाक और मल के द्वार को बार-बार खुजलाना, सांस के साथ दुर्गन्ध आना, हाजमे की खराबी, उल्टी (कै), पतले दस्त, बुखार, शरीर में खून की कमी होना, गुदा पर कीड़ों के रेंगने के कारण होने वाली खुजली, कम्पन, बवासीर (अर्श), कांच निकलना, खुजली, अनिद्रा, बार-बार पेशाब होना, पुरुषों में प्रमेह (वीर्य विकार), स्वप्नदोष और स्त्रियों को प्रदर होना आदि। यह कीड़े काफी हानिकारक भी होते हैं।
दूसरा – गोल, केंचुआ या गण्डुपद कृमि (राउण्ड वर्म्स), श्लेष्मज – यह कीड़े केंचुए जैसे लम्बे 4-12 इंच और पतले छोटी-छोटी आंतों में रहते हैं। इनका रंग कुछ मटमैला या पीला होता है। ये अधिकतर छोटी आंतों में मौजूद होते हैं। यह कभी-कभी आमाशय, प्लीहा (तिल्ली) और फेफड़े में भी चले जाते हैं। कभी-कभी पाचन-क्रिया (पाकस्थली) के रास्ते चढ़कर मुंह के द्वारा बाहर निकल जाते हैं। इस प्रकार के कीड़ों में लक्षण इस प्रकार से होते हैं जैसे- पेट में दर्द होना, नींद कम आना, तेज प्यास लगना, मुंह से खून आना, दस्त में आंव आना (पेट में एक प्रकार का सफेद चिकना पदार्थ मल के साथ बाहर आना), खांसी, पीलिया, जिगर में सूजन आना, नींद में चौंकना, नाक और गुदा में खुजली, पेट फूलना, बेहोशी, कभी भूख और कभी अरुचि(इच्छा न करना), कमजोरी, शरीर का बल कम होना, मुंह में पानी आना और उल्टी आदि।
तीसरा – फीता या स्फीति कृमि (टेप वर्म्स), कद्दू दाने, शोणितज : फीता कीड़े की लम्बाई 31 से 62 मिमी, तक होती है यह मल के साथ गिर जाती है। यह आकार में चिपटा, गांठदार और रंग में सफेद होता है। यह कीड़े कई-कई मीटर लम्बे होते हैं। स्फीति कीड़ें कई कारणों से होते हैं जैसे- गाय का मांस खाने से, शूकर का मांस खाने और मछली के मांस को खाने से आदि। भूख का कम लगना, त्वचा पर सूखापन आना, पेट में दर्द, ऐंठन और पतले दस्त आना इसके लक्षण माने जाते हैं।
चौथा – अंकुशमुख कीड़े (हुक वर्म्स), पुरीषज – वह कीड़ा जो छोटी आंतों में चिपककर रहता है और व्यक्ति का खून पीता रहता है जिसके कारण इस कीड़े से व्यक्ति पीला पड़ जाता है और उसे खून की कमी (एनीमिया) और खून में लौहे की कमी हो जाती है।
जब अंकुशमुख कीडे़ (हुक वर्म्स) के संपर्क में आया रोगी मल त्यागता है तो उसके मल के साथ इसके अण्डे बाहर आते हैं, उनसे झिल्लियां निकलती है जो दूसरे बच्चों या मनुष्यों के पैरों के फटे भागों की त्वचा या उन्हें फाड़कर शरीर में घुस जाते हैं। वहां से ऊतकों (टिश्यूज) में होकर छोटी आंत में पहुंचकर पूरी तरह से कीड़े बन जाते हैं और चिपककर खून को पीते रहते हैं।
इसलिए जिन लोगों को यह रोग हो या जो इन कीड़ों के संपर्क में आयें हो उन्हें खुले में शौच नहीं करना चाहिए और साफ सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए। इसके अलावा दूसरो को भी ऐसे स्थानों पर नहीं जाना चाहिए जहां खुलें में मल किया जाता है।
कारण :
पेट में होने वाले कीड़ों के अनेक कारण पाये जाते हैं। जैसे- पेट के कीड़े (दूषित) गलत खान-पान, गंदे हाथों से खाना, अजीर्ण (भूख का न लगना) में खाना खाने, मक्खियों द्वारा दूषित आहार, दूध, खट्ठी-मीठी वस्तुएं अधिक खाने, मैदा खाने से, पीसे हुए अन्न, कढ़ी, रायता, गुड़, उड़द, सिरका, कांजी, दही और संयोग विरुद्ध पदार्थों के खाने, परिश्रम न करना और दिन में सोना आदि कारणों से पेट में कीड़े पैदा हो जाते हैं।
लक्षण :
मानव के शरीर में कीड़े दो प्रकार से प्रभाव डालते हैं पहला बाहरी कीड़े जो शरीर के बाहरी परत यानी त्वचा पर असर छोड़ते हैं जैसे- दाद-खाज, फोड़ा-फुंसी, कोढ़ और गलगण्ड आदि में ये कीटाणु पैदा हो जाते हैं जबकि दूसरे प्रकार के भीतरी या अंदरूनी कीड़े होते है जो मानव के पेट में पाए जाते हैं उनके लक्षण सामान्य रूप से माने जाते हैं
जैसे- सोते हुए दांत पीसना, बार-बार नाक खुजलाना, मल में कीड़े होना, शरीर का रंग पीला या काला होना, हल्का-सा बुखार, पेट में दर्द, हृदय का दर्द, जी मिचलाना, दस्त, चक्कर आना, भोजन से अरुचि, अफारा, कब्ज, गुदा में खुजली, शरीर का कमजोर होना, त्वचा में रूखा और सूखापन भी रहना, पीलिया, अण्डे के लार्वे जब फेफड़ों में पहुंच जाते हैं तब दमा की बीमारी, जीभ का सफेद होना, आंखे लाल होना, होंठ सफेद होना, गालों पर धब्बे होना, शरीर में सूजन होना, मल में जब कीड़े पक्वाशय (पाचन-क्रिया) में मौजूद होते हैं तो कभी-कभी वह खुद गुदा यानी मलद्वार के रास्ते बाहर खुजली के साथ निकलने लगते हैं, लेकिन जब यह अधिक मात्रा में हो जाते हैं तो यह आमाशय (मेदा) में पहुंचकर रोगी की सांस और डकारों में मल की मिलीजुली गंध आना शुरू कर देते हैं।
भोजन और परहेज :
केला, सरसों का साग, कांजी, मट्ठा (छाछ), शहद, हींग, नींबू का रस, पुराने चावल, मूंग, अरहर और मलका की दाल, साबूदाना, बथुआ, करेला, परवल, तोरई, लौकी, अनार, कच्चा आंवला, संतरा, अनन्नास का रस, अदरककी चटनी, सेब, राई, मुनक्का, अजवाइन का रस, हींग, जीरा, धनिया, कड़वे चटपटे और कफनाशक पदार्थ का प्रयोग रोगी को खाने में करना चाहिए।
बेसन की बनी खाने की वस्तुएं, तिल, जौ, उड़द, जौ, मोठ, पत्तेवाली सब्जी, आलू, मूली, अरबी, ककड़ी, खीरा, दही, दूध, अधिक देशी घी, खटाई, मांस, मछली, अण्डा, मुल्तानी मिट्टी, मीठी चीजों का सेवन, रात को अधिक देर बाद सोना, दिन में सोना, दिन भर बैठे रहना, बीड़ी-सिगरेट को पीना और तेल की मालिश, सड़ी और बासी वस्तु, नमकीन, अधिक सूखे और लाल मिर्चे आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
विभिन्न औषधियों से उपचार :
अनार :
- अनार का छिलका अथवा उसके पौधे के मूल की छाल का काढ़ा बनाकर उसमें तिल का तेल डालकर 3 दिन तक पीने से पेट के कीड़े बाहर निकल जाते हैं।
- अनार के सूखे छिलकों का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार नियमित रूप से कुछ दिनों तक सेवन करें। इससे पेट के कीड़े नष्ट हो जाते है। यही प्रयोग खूनी दस्त, खूनी बवासीर, स्वप्नदोष, अत्यधिक मासिकस्राव में भी लाभकारी होता है।
- अनार के पेड़ की जड़ की तरोताजा छाल 50 ग्राम लेकर उसके टुकड़े-टुकड़े कर लें। इसमें पलास बीज का चूर्ण 5 ग्राम, बायविडंग 10 ग्राम को एक लीटर पानी में उबालें। आधा पानी शेष रहने तक उसे उबालते रहें। उसके बाद नीचे उतारकर ठंडा होने पर छान लें। यह जल दिन में चार बार आधा-आधा घण्टे के अंतराल पर 50 ग्राम-50 ग्राम की मात्रा में पिलाने से और बाद में एरण्ड तेल का जुलाब देने से सभी प्रकार के पेट के कीड़े निकल जाते है।
- अनार की जड़ की छाल, पलास बीज, बायविंडग को मिलाकर काढ़ा बनाकर शहद के साथ पीने से पेट के अन्दर सूती, चपटे और गोल आदि के कीड़ों को मारकर मल के द्वारा बाहर निकाल देता है।
- अनार की जड़ का काढ़ा बनाकर मीठे तेल को मिलाकर तीन दिन तक सेवन करने से आंतों के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- अनार की जड़ की छाल 50 ग्राम को 250 मिलीलीटर पानी में उबाल लें, जब पानी 100 मिलीलीटर की मात्रा में बच जाऐ, तब इस बने काढे़ को दिन में 3-4 दिन बार पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- 3 ग्राम अनार के छिलकों का चूर्ण दही या छाछ के साथ सेवन करें।
2. टमाटर :
- टमाटर का सूप बनाकर उसमें बायविडंग का चूर्ण डालकर सेवन करने से पेट के कीड़ें मरने लगते हैं।
- टमाटर को टुकड़ों में काटकर उसमें कालीमिर्च का चूर्ण और सेंधा नमक मिलाकर खाने से पेट के कीड़े मरकर गुदामार्ग से बाहर निकल जाते हैं।
- टमाटर के रस में काली मिर्च का बारीक चूर्ण और सेंधा नमक को मिलाकर पीने से पेट के कीड़ों से आराम मिलता है।
- लाल टमाटर को टुकड़ों में काटकर काला या सेंधा नमक, कलमी सोडा और काली मिर्च के साथ खाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
- टमाटर के रस को शहद के साथ चाटने से लाभ होता है।
- लाल टमाटरों की चटनी में काली मिर्च और सेंधा नमक डालकर रोजाना सुबह खाने से लाभ होता है।
- लाल टमाटरों को काटकर उस पर सेंधानमक और कालीमिर्च डालकर दिन में एक बार खुराक के रूप में 2 से 3 या 2 से 3 सप्ताह तक खाने से पेट में कीड़ों के कारण होने वाले और कीड़ों को समाप्त कर देता है। ध्यान रहें कि टमाटर खाने के लगभग 2 घण्टे पहले और 2 घण्टे बाद कुछ भी न खाये हो सके तो थोड़ी-सी मात्रा में पानी को पी सकते हैं।
3. लहसुन :
- लहसुन और गुड़ को बराबर मात्रा में लेकर खाने से पेट के कीड़ें मर जाते हैं।
- लहसुन की चटनी बनाकर उसमें थोड़ा-सा सेंधा नमक को मिलाकर सुबह और शाम खाने से पेट के कीड़ों से राहत मिलती है।
- पेट में कीड़े होने पर 5 कली लहसुन की शहद या मुनक्का के साथ रोज दिन में 3 बार खानें से पेट के कीड़े मर जाते है। यह प्रयोग 2 से 3 महिनों तक करें अवश्य लाभ मिलेगा।
- लहसुन की एक फली को पपीते के सूखे हुए थोड़े-से बीजों को पीसकर चटनी बनाकर मरीज को खिलाने से पेट के कीड़े मरकर मल के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
- 1 पुती (एक फली) लहसुन को देशी घी में भुनकर, आधा चम्मच अजवायन का चूर्ण और 10 ग्राम पुराने गुड़ को मिलाकर दिन में 4 बार खाने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- लहसुन के रस की 8 से 10 बूंदों को छाछ में रोजाना दिन में 3 बार पीने प्रयोग करने से लाभ मिलता है।
- 5 लहसुन की कली को मुनक्का या शहद के साथ दिन में 3 बार 2 से 3 महीने तक पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।.
4. आंवला :
- आधा चम्मच आंवले का रस 2 से 3 दिन तक पिलाने से पेट के कीड़ों में आराम देता है।
- ताजे आंवले का लगभग 60 मिलीलीटर रस को 5 दिन तक पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
5. अंकोल : अंकोल के पेड़ के जड़ की छाल को बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर सेवन करने से पेट के कीड़ें समाप्त हो जाते हैं।
6. नीम :
- नीम के पेड़ की छाल को उतारकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें, इस बनें चूर्ण की 2 ग्राम को खुराक के रूप में हींग और शहद के साथ सेवन करने से पेट के कीड़ें समाप्त हो जाते हैं।
- नीम के पेड़ की छाल, इन्द्रजौ और बायबिडंग के चूर्ण को 2 ग्राम, भुनी हींग 250 ग्राम को शहद के साथ मिलाकर दिन में सुबह और शाम सेवन करने से आंतों के कीड़ों मल के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
- सब्जी या बैंगन के साथ नीम के 8-10 पत्तों को छौंक कर खाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
- एक मुट्टी पत्तों का काढ़ा बनाकर 20 मिलीलीटर की मात्रा में खाली पेट 3 दिन तक पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
- नीम के पेड़ की ताजे पत्तों की कोमलों को पीसकर प्राप्त हुऐ रस को शहद के साथ मिलाकर पीने से पेट के कीड़ें और खून की खराबियां मिट जाती है।
- नीम के पत्तों को तिल के तेल में पकाकर छानकर रख लें, फिर इसी तेल की मालिश करने से सिर की जूं, लीख और बाहरी कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- नीम की पत्तियों को सुखाकर पीसकर चूर्ण बनाकर 2 चुटकी की मात्रा में लेकर शहद के साथ लाभ होता है।
- नीम के पत्तों का रस शहद के साथ मिलाकर पीने से पेट के कीड़ें समाप्त हो जाते हैं।
- नीम के पेड़ की ताजी कोंपलों को पीसकर एक चम्मच रस को निकालकर शहद के साथ 4 दिनों तक चाटने से पेट की आंतो में मौजूद कीड़े मरकर मल के द्वारा आसानी से बाहर निकल जाते हैं।
7. चम्पा :
- चम्पा के फूलों का रस 10 मिलीलीटर को शहद के साथ पीने से पेट के कीड़ें मर जाते हैं।
- चम्पा के फूलों को पीसकर प्राप्त हुऐ रस को निकालकर 3 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद के साथ चाटने से आंतों के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- चम्पा के ताजे पत्तों का रस 20 मिलीलीटर को पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं और पेट के दर्द में लाभ होता है।
8. सूरजमुखी : सूरजमुखी के लगभाग 4 ग्राम बीजों को पीसकर खाने से पेट के कीड़े मरकर मल के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
9. केला : कच्चा केले की सब्जी रोजाना 7 से 8 दिन तक लगातार सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
10. तुलसी :
- तुलसी के पत्तों के 10 मिलीलीटर रस को गर्म करके सुबह और शाम देने से बच्चों के पेट में कीड़े मरकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।
- तुलसी की पत्तियों का रस पीने से पेट के कृमि (कीड़े) समाप्त हो जाते हैं।
- तुलसी की 10 पत्तियां, बायविंडग का चूर्ण 2 ग्राम और एक चुटकी कालानमक को पानी में पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर रख लें, 2-2 ग्राम गोलियों को सोने से पहले रात को पानी के साथ लें।
11. अनन्नास :
- अनन्नास के 20 मिलीलीटर रस में अजवायन 2 ग्राम, बायविंडग का चूर्ण 2 ग्राम को आपस में मिलाकर पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- अनन्नास खिलाने से एक सप्ताह में ही कृमि मर जाते हैं।
- कुछ दिनों तक सुबह-शाम अनन्नास का रस पिलाने से कृमि शीघ्र नष्ट होते है।
- अनन्नास के फल का 1 गिलास रस रोजाना पीने से लाभ होता है।
- अनन्नास को खाली पेट खाने से भी पेट के कीड़े मर जाते हैं।
- अनन्नास के फल का रस सुबह 7 दिन तक खुराक के रूप में पिलाने से पेट के सारे कीड़े मर जाते हे। नोट : इसका रस गर्भवती महिलाओं को पीने नहीं देना चाहिए।
12. बथुआ :
- बथुआ को उबालकर आधा कप रस लेकर पीने से लाभ होता है।
- कच्चे बथुआ का रस 1 कप में इच्छानुसार नमक मिलाकर रोजाना पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- बथुआ के बीजों को पीसकर 1 चम्मच शहद में मिलाकर चाटने से लाभ होता है।
13. कालीमिर्च :
- कालीमिर्च के 10 दानें और 25 ग्राम पुदीना को पीसकर 1 गिलास पानी में मिलाकर 4 दिन तक रोज पीने से लाभ होता हैं।
- पिसी हुई कालीमिर्च एक ग्राम को छाछ के साथ पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
14. खुरासानी अजवायन :
- खुरासानी अजवायन 2 ग्राम और 10 ग्राम गुड़ को एक साथ खाने से कीड़े मर जाते हैं।
- सुबह के समय 5 ग्राम गुड़ खा लें और थोडी देर बाद खुरासानी अजवायन के 1 से 2 ग्राम पाउडर को 1 या 2 दिन रखे पानी के साथ खा जायें इससे आंत के अन्दर कीड़े मरकर वे बाहर निकल आयेंगें।
15. अजवायन :
- सूखी अजवायन को पीसकर प्राप्त हुए चूर्ण को 1 से 2 ग्राम को खुराक के रूप में छाछ के साथ पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- 4 ग्राम अजवायन के बारीक चूर्ण को 1 गिलास छाछ के साथ पीने या अजवायन के तेल की लगभग 7 बूंदों को प्रयोग करने से लाभ होता है।
- 4 से 5 बूंद अजवायन के रस को पानी में डालकर सेवन करने से आराम मिलता है।
- 2 चुटकी अजवायन को गुड़ के साथ प्रयोग करें पेट के कीड़ों में लाभ मिलेगा।
- अजवायन का बारीक चूर्ण करके आधा ग्राम की मात्रा में गुड़ के साथ मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर दिन में 3 बार खिलाने से पेट छोटे बच्चों (3 से लेकर 5 साल तक) के पेट के कीड़े मरकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।
- अजवायन का चूर्ण खिलाने से पहले गुड़ 10 ग्राम और बड़ों को लगभग 24 ग्राम की मात्रा में पिलाने से कीड़े पेट इकट्ठा हो जाते हैं, फिर आधा ग्राम छोटे बच्चों को और बड़ों को 1 से 2 ग्राम की मात्रा में अजवायन का चूर्ण पानी के साथ पिलाने से पेट के कीड़ें मरकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।
- अजवायन का आधा ग्राम बारीक चूर्ण और चुटकी भर कालानमक मिलाकर सोने से पहले बच्चों को और बड़ों को 2 ग्राम की मात्रा में पिलाने से पेट में मौजूद कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
16. पलाश (ढाक) :
- पलाश के बीजों को पीसकर प्राप्त रस को चावल के पानी (धोवन) या छाछ के साथ पीने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
- पलाश के बीजों का काढ़ा बना लें, इसी काढ़ें मे से 3 ग्राम की मात्रा में अजवायन का बारीक चूर्ण मिलाकर पीने से पेट के कीड़े मरकर मल के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
- पलाश के बीजों का बारीक चूर्ण बनाकर गुड़ के साथ सेवन करें।
- पलाश के बीजों का रस छाछ में शहद मिलाकर पीने से अन्दर के कीड़े मर जाते हैं।
- ढ़ाक के बीज व अजवायन समान मात्रा में पीसकर एक-एक चम्मच दिन में 3 बार कुछ दिनों तक नियमित रूप सेवन करें।
- पलाश (ढ़ाक) के बीजों को पीसकर 3 से लेकर 6 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से लाभ होता है।
- पलाश के बीजों को पीसकर रस निकाल लें, प्राप्त हुऐ रस को 14 मिली लीटर से लेकर 28 मिलीलीटर तक की मात्रा में शहद के साथ सुबह और शाम पीने से आंतों के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
- पलाश के बीजों को लगभग 25 ग्राम की मात्रा में लेकर बारीक पीसकर 100 मिलीलीटर को खुराक के रूप में छाछ के साथ दिन में सुबह और शाम पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
- पलाश के बीज और बायविंडग का बराबर मात्रा में पिसा हुआ 2 ग्राम बारीक चूर्ण 3 ग्राम नींबू के रस में मिलाकर पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
17. परवल :
- परवल को पका लें, फिर उससे प्राप्त 2 चम्मच रस को पुदीने के 1 चम्मच रस में मिलाकर सेवन करें। इससे कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- परवल की सब्जी बनाकर खाने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
18. सोंठ : सोंठ और बायविंडग को बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर शहद के साथ सेवन करने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
19. बकायन :
- बकायन और नीम के पेड़ की छाल को पीसकर पानी में डालकर लेप बनाकर पेट पर लगाने से पेट के कीड़े मलकर मल के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
- बकायन की 20 ग्राम छाल को 2 लीटर पानी में उबालें। 750 मिलीलीटर पानी शेष रहने पर उसमें थोड़ा सा गुड़ मिलाकर 3 दिनों तक 50 से 100 मिलीलीटर की मात्रा में मिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
20. पारसी कयवानी : पारसी कयवानी बीज को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसी बने चूर्ण को एक ग्राम से लेकर 5 ग्राम की मात्रा में 50-100 मिलीलीटर पानी में मिलाकर एक दिन में 2 बार पेट के कीड़ों से छुटकारा मिलता है।
21. महानिम्ब : महानिम्ब के नये पत्तों को पीसकर रस निकाल लें, इसी रस को 7 मिलीलीटर से लेकर 14 मिलीलीटर की मात्रा में शहद के साथ सुबह-शाम पीने से कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
22. काम्पिल्लक : काम्पिल्लक के फल को पीसकर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग चूर्ण में 1 ग्राम गुड़ को मिलाकर 100 मिलीलीटर दूध को दिन में 2 बार पिलाने से लाभ होता है।
23. खजूर : खजूर के पत्तों का काढ़ा बनाकर बासी होने पर शहद के साथ मिलाकर पीने से और खजूर की पत्तियों का रस 40 ग्राम और 40 ग्राम शहद के साथ मिलाकर पीने पेट के सभी कीड़े मर जाते हैं।
24. पेठा : पेठे की सब्जी और मिठाइयों का सेवन करने से भी पेट के कीड़े मर जाते हैं।
25. करंज : करंज की मींगी को भूनकर 3 से 4 दिन तक खाने से कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
26. प्याज :
- प्याज के 10 मिलीलीटर रस में थोड़ी-सी मात्रा में सेंधानमक को मिलाकर पिलाने से पेट के कीड़ें मिट जाते हैं।
- प्याज के रस को शहद के साथ मिलाकर पीने से पेट के अन्दर के चुन्ने कीड़े मर जाते हैं।
- प्याज को निचोड़कर प्राप्त रस को आधा-आधा चम्मच की मात्रा में पीने से बच्चों के पेट मे मौजूद कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
- प्याज का रस एक चम्मच की मात्रा में 2-2 घण्टे के अन्तराल के बाद पीने से पेट के कीड़े मरते हैं और पेट का दर्द भी दूर होता है।
- प्याज का आधा चम्मच रस 2 से 3 दिन तक बच्चों को देने से पेट के कीड़े और दर्द नष्ट होते हैं।
27. कबीला : कबीला को 3 ग्राम गुड़ के साथ खाने से पेट में की आंत में मौजूद कीड़ें मरकर मल के साथ आसानी से बाहर निकल जाते हैं।
28. हरड़ :
- हरड़, कबीला, सेंधानमक और बायविडंग को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर 3 ग्राम चूर्ण को छाछ के साथ खिलाने से पेट के कीड़े मिट जाते हैं।
- हरड़ और बायविंडग को बराबर मात्रा में पीसकर थोड़ी-सी मात्रा में बच्चों को और 1 चम्मच में गर्म पानी के साथ रोजाना सुबह और शाम फंकी के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
29. बड़ी हरड़ :
- बड़ी हरड़ का छिलका 10 ग्राम, बायविंडग 10 ग्राम, कालानमक 10 ग्राम इन सबको बराबर मात्रा में बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें। 2 ग्राम चूर्ण को दिन में 2 बार सुबह और शाम गर्म पानी के साथ पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- बड़ी हरड़ को पानी में घिसकर उसमें सुहागा का फूल मिलाकर खुराक के रूप में बच्चों को देने से उनके अजीर्ण रोग में लाभ होता है और कीड़े मर जाते हैं।
30. आडू : आडू के पत्तों को पीसकर प्राप्त 30 मिलीलीटर रस में थोड़ी-सी मात्रा में हींग को मिलाकर चाटने से पेट में उपस्थित कीड़ें नष्ट हो जाते हैं।
31. कालीमिर्च : कालीमिर्च को 1 ग्राम पीसकर छाछ के साथ पीने से कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
32. आम :
- कच्चे आम की गुठली के बीज को पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर आधा ग्राम को खुराक के रूप में पानी या दही के साथ प्रयोग करने से पेट के कीड़े मिट जाते हैं।
- कच्चे आम की गुठली के अन्दर की गिरी को सुखाकर बारीक चूर्ण बनाकर 2 ग्राम की मात्रा में दही या पानी के साथ प्रयोग करने से आंतों या पेट के कीड़ों से छुटकारा पाने में लाभ देता है।
33. अखरोट : अखरोट को गर्म दूध के साथ सेवन करने से बच्चों के पेट में मौजूद कीड़ों को मारकर पेट के दर्द में आराम देता है।
34. घिया (लौकी, कद्दू) :
- 25 ग्राम सूखे कद्दू के बीजों को बारीक पीसकर शहद के साथ सेवन करने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं। ध्यान रहें कि बच्चों को 1 खुराक से अधिक प्रयोग करने से हानि पहुंचती है।
- कद्दू के रस को पीने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं।
- कद्दू का लाल फूल, बीज, 25 ग्राम मिश्री, 10 ग्राम नारियल, 2 ग्राम किशमिश को पीसकर बनें घोल बड़ों यानी जवान व्यक्ति को रात को सोने से पहलें सेवन करने से लाभ होता है।
35. नारियल :
- नारियल के छिलके को पानी में उबालकर रोजाना सुबह-सुबह पीने से पेट के कीड़े मर कर मल के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
- नारियल के खोपरे (कवर) का बारीक पिसा चूर्ण सेवन करने से पेट के कीड़े मरकर पेट के दर्द में लाभ होता है।
- 6 मिलीलीटर नारियल के तेल का सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
- रोजाना पके हुए नारियल का पानी पीने से लाभ होता है।
- कच्चे नारियल का पानी और गोले की गिरी खाने से पेट के कीड़े मरकर बाहर निकल जाते हैं।
- 6 मिलीलीटर नारियल का तेल पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
36. काला जीरा :
- काले जीरे का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- काले जीरे को उबालकर काढ़ा बना लें, फिर इस बने काढ़े को पीने से पेट के कीड़े मिट जाते हैं।
37. सिरस : सिरस की छाल 10 ग्राम को लगभग 500 मिलीलीटर पानी में अच्छी तरह पका लें, जब 8 भाग पानी रह जाये तब इसे नीचे उतारकर छानकर पीने से पेट की सूजन के साथ-साथ कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
38. जैतून : जैतून का तेल पीने और गुदा में लगाने से बच्चों के मूत्राशय (वह स्थान जहां पेशाब एकत्रित होता है) में मौजूद कीड़े मरकर मल के द्वारा आसानी से बाहर निकल जाते हैं।
40. चिरायता : चिरायता, तुलसी का रस, नीम की छाल का काढ़ा और नीम का तेल मिलाकर पीने से पेट के कीड़े मर जाते है और पेट के दर्द में लाभ होता है।
41. करेला :
- करेले के पत्तों का रस पीने से पेट की आंतों में मौजूद कीड़े मारकर मल के साथ बाहर निकाल जाते हैं।
- करेले का रस पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- एक चौथाई ग्राम करेले के फल का रस गुड़ के साथ सुबह के समय 3 दिन तक लें।
- पेट में कीड़े होने पर चौथाई कप करेले का रस पीना फायदेमन्द होता है।
- करेला की सब्जी 7 दिनों तक खाना बुखार, पित्त की खराबी, बच्चों को हरे-पीले दस्त, बवासीर, पेट के कीड़ों और पेशाब की बीमारियों में लाभ देता है।
- 1 चम्मच करेले का रस, आधा चम्मच नीम का रस, बायविंडग का चूर्ण और 2 चुटकी को मिलाकर पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- 1 चम्मच करेले का रस गर्म पानी में मिलाकर सेवन करें।
42. सत्यानाशी :
- सत्यानाशी की जड़ की छाल का चूर्ण लगभग आधा ग्राम से लेकर 1 ग्राम की मात्रा में लेने से आंतों के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
- 2 चुटकी सत्यानाशी की जड़ को पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर पानी के साथ पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
43. राई : राई को बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, 1 चम्मच की मात्रा को 100 मिलीलीटर गाय के पेशाब में मिलाकर दिन में सुबह-शाम प्रयोग करने पेट कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
44. मूली : मूली के पत्तों को पीसकर प्राप्त होने वाले रस को नमक के साथ लगभग 8 दिनों तक पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
45. संतरा : संतरे का रस रोजाना सुबह पीने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
46. सेब : 2 सेब रात को सोते समय कम से कम 7 दिनों तक खाने से कीड़े मरकर गुदामार्ग से मल के साथ बाहर आ जाते है। सेब खाने के बाद रात भर पानी न पीएं।
47. केसर :
- केसर और दालचीनी को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर सेवन करने से आंतों के कीड़े और पेट के दर्द में लाभ मिलता है।
- केसर और कपूर एक चौथाई ग्राम को दूध के साथ इस्तेमाल करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
49. गोरखमुण्डी : गोरखमुण्डी के बीजों को पीसकर सेवन करने से आंतों के कीड़े मरकर मल के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
50. बच : बच के एक चुटकी चूर्ण को हींग के साथ पीसकर पानी के साथ बच्चों को देने से पेट कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
51. बथुए :
- बथुए के रस को निकालकर पीने से पेट के कीड़ें मर जाते हैं।
- 1 चम्मच पिसे हुए बथुए के बीज शहद में मिलाकर चाटने से भी पेट के कीड़े मर जाते हैं तथा रक्तपित्त भी ठीक हो जाता है।
53. एरण्ड : एरण्ड के पत्तों के रस में हींग डालकर पीने से पेट की आंतों में फंसें कीड़ें मरकर बाहर आ जाते हैं।
54. कमीला :
- 6 ग्राम कमीला को गुड़ में मिलाकर खाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं और पेट के दर्द में आराम मिलता है।
- कमीला को छीलकर 3 ग्राम की मात्रा में दही के साथ प्रयोग करने से पेट के दर्द में आराम मिलता है।
- कमीला को पीसकर 6 ग्राम की मात्रा में छाछ के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
- कमीला का आधा ग्राम चूर्ण 60 ग्राम दही को मिलाकर रात को सोने से पहले पीयें।
- कमीला 20 ग्राम और बायविंडग 20 ग्राम को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें, इस बने चूर्ण को आधा ग्राम बच्चों और बड़ों को 2 ग्राम की मात्रा में दही या गर्म दूध के साथ 7 दिनों तक सेवन करने से पेट की आंतों में फंसे कीड़े मरकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।
55. कली का चूना : कली का चूना, चीनी और नमक लगभग 2-2 ग्राम की मात्रा में लेकर 250 मिलीलीटर पानी में डालकर भिगो दे, फिर इसी पानी को 20 मिलीलीटर की मात्रा में पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
56. तेजपात : तेजपात और जैतून के तेल को मिलाकर गुदा पर लगाने से कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
56. पित्तपापड़ा : पित्तपापड़ा और बायविंडग को उबालकर पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
57. मोथा : एक चुटकी मोथा का चूर्ण शहद के साथ प्रयोग करने से कीड़े समाप्त होते हैं।
58. नागरमोथा : नागरमोथा 2 ग्राम, अजवायन 2 ग्राम, भुना हुआ जीरा 2 ग्राम, कालीमिर्च 2 ग्राम और बायविंडग 2 ग्राम आदि को बराबर मात्रा में और 25 ग्राम सेंधानमक लेकर बारीक पीसकर रख लें। इस बने चूर्ण को 4-4 ग्राम की मात्रा में छाछ के साथ पीने से पेट के कीड़े मर जाते और पेट के दर्द में लाभ मिलता है।
59. हींग :
- हींग को अजवायन और ग्वारपाठा के गूदे के साथ खाने से आंतों के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- हींग को पानी में मिलाकर रूई का फोया भिगोकर बच्चों की गुदा पर लगाने से बच्चों के पेट के कीड़े मर जाते हैं।
- पेट में कीड़े होने पर थोड़ी-सी मात्रा में बच्चों हींग को खिलाने से भी लाभ होता है।
- हींग को थोड़े-से पानी में मिलाकर गुदा पर लगाने से पेट के कृमि नष्ट हो जाते हैं।
- थोड़ी-सी मात्रा में हींग को पानी में घोलकर दिन में 3 से 4 बार पीने से कीड़े मरने लगते हैं।
60. गुड़ :
- 20 ग्राम गुड़ को खाने के बाद 1 ग्राम खुरासानी अजवायन को बारीक पीसकर पानी के साथ पीने से पेट की आंतों में मौजूद कीड़े मरकर मल के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
- 25 ग्राम से लेकर 40 ग्राम की मात्रा में गुड़ को खाने के लगभग 15-20 मिनट बाद, कमीला या बायविंडग के चूर्ण को 10 ग्राम खुराक के रूप में गर्म पानी के साथ लेने से आंतों के कीड़े मरकर मल के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
- पुराना गुड़ 60 ग्राम में 3 ग्राम कमीला को मिलाकर सेवन 3 दिन तक सेवन लाभ होता है।
- 1 चम्मच अजवायन को पीसकर बने चूर्ण को गुड़ में मिलाकर रोजाना खिलाने से लाभ होता है।
61. इन्द्रजौ : इन्द्रजौ को पीसकर छानकर 1-1 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम पीने से कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
62. इन्द्रायण :
- इन्द्रायण के फल के गूदे को गर्म करके पेट में बांधने से आंतों के सभी प्रकार के कीड़े मर जाते हैं।
- इन्द्रायण की जड़ को पानी में अच्छी तरह घिसकर गुदा पर बाहर और अन्दर लगाने से लाभ होता है।
63. इन्द्रावर्णी : इन्द्रावर्णी की जड़ को घिसकर 10 ग्राम की मात्रा में खाने से बच्चों के पेट में दर्द, पेट में कीड़े और खुजली में आराम होता है।
64. काहू : काहू के फूल, कलिहारी, राल, खस, कूठ, भिलावा, लोहबान और बायविंडग को अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, इस बने हुए चूर्ण को आग में जलाकर धूनी (धुआं) बनाकर गुदा की धूनी करने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
65. गुलकन्द : गुलकन्द 50 ग्राम और सोनामक्खी 50 ग्राम, हरड़ की छाल 20 ग्राम, सोंठ 20 ग्राम और मुनक्का 20 ग्राम को शहद में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें, फिर इन्ही गोलियों को दूध के साथ 1 दिन में 2 बार सुबह और शाम को खाने से पेट के अन्दर उपस्थित कीड़े मर जाते हैं।
66. गाजर :
- गाजर का रस 125 मिलीलीटर रोज खाली पेट 14 दिन तक सेवन करने से पेट के कीड़ें मरकर मल के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
- कच्ची गाजर को 7 दिनों तक खाने से भी पेट के कीड़ों से छुटकारा मिलता है।
- गाजर का 125 मिलीलीटर रस खाली पेट पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
- 1 कप गाजर का रस लगातार 15 दिनों तक पीने से पेट के कीड़े मरते है और पेट के दर्द में लाभ देता है।
67. नमक :
- आधा चम्मच नमक को गर्म पानी के साथ फंकी के साथ 10 दिनों तक दिन में 2 बार सुबह और शाम सेवन करने से पेट की आंतों में फंसे हुऐ कीड़ें मरकर मल के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
- 8 ग्राम नमक को पानी के साथ पीने से पेट की आंतों में मौजूद केंचुए मल के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
- 1 चुटकी सेंधा नमक, 4 काली मिर्च और 1 चम्मच अजवाइन को मिलाकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इस चूर्ण को पानी के साथ पीने से पेट के कीड़े मरकर मल के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
68. नींबू :
- नींबू के बीजों को पीसकर चूर्ण बना लें, इस चूर्ण थोड़ी-सी मात्रा में गर्म पानी के साथ 7 दिन तक सेवन करने से कीड़ें मर जाते हैं।
- बिजौरा नींबू के सूखे छिलकों का काढ़ा बनाकर पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- नींबू के रस को सेवन करने से आंतों के अन्दर टायफायड (मियादी बुखार), अतिसार (दस्त), हैंजा (विशूचिका) आदि में लाभ मिलता है।
- नींबू का रस का सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते है और आमवात की शिकायत कम होती है।
- 10 मिलीलीटर नींबू के पत्तों का रस और 10 ग्राम शहद मिलाकर 15-20 बार 1 दिन में पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
69. हुलहुल : हुलहुल के बीजों को पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इसी चूर्ण में से 2 से 4 ग्राम बड़ों को और छोटो को लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लेकर लगभग 2 ग्राम तक को खुराक के रूप में पिलाने से पेट के कीड़ें मर जाते हैं और पेट का दर्द समाप्त हो जाता है।
70. यवक्षार- यवक्षार हरीतकी का फल, विण्डग के बीज, सेंधा नमक, और काम्पिल्लकरज को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें, इसी बने चूर्ण को 1 से 3 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद के साथ सुबह और शाम सेवन करने से आंतों के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
71. बाकुची : बाकुची, शुद्ध गंधक, पलाश के बीज, परसी कायवानी, इन्द्रयव, कृष्णलवण, हरीतकी का फल आदि को मिलाकर चूर्णोदक के साथ दिन में सुबह और शाम प्रयोग करने से कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
72. खजूर : खजूर के पत्तों का बारीक चूर्ण को खजूर के पत्तो के काढ़े में डालकर रात को रख लें, फिर अगले दिन इसे छानकर 14 मिली लीटर से लेकर 28 मिलीलीटर की मात्रा में शहद के साथ 1 दिन में 2 बार सुबह और शाम सेवन पेट कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
73. शिग्रु : शिग्रु के बीज को बारीक पीसकर रख लें, फिर इसी बने चूर्ण को 1 ग्राम से लेकर 2 ग्राम की मात्रा पानी के साथ दिन में सुबह और शाम इस्तेमाल करें।
74. सुपारी :
- कच्ची सुपारी 5 ग्राम की मात्रा में पिसी और लगभग 7 से 14 मिली लीटर जंबीरी का रस मिलाकर दिन में 2 बार यानी सुबह और शाम सेवन करें। इससे पेट कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- सुपारी का बारीक चूर्ण 15 ग्राम को दूध या मक्खन के साथ प्रयोग करने पेट के कीड़े नष्ट होकर पेट के दर्द में लाभ होता है।
75. विंडग : विडंग के बीजों को पीसकर चूर्ण बना लें, इसी बने चूर्ण को 1 से 3 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद के साथ प्रयोग करें। इससे पेट कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
76. बायविंडग (बायविंडग) :
- 1 चम्मच बायबिड़ग और 3 ग्राम सहजने को मिलाकर पकाकर काढ़ा बनाकर शहद के साथ पीने से पेट के कीड़े मिट जाते हैं।
- बायविंडग, सेंधानमक, हरड़, निशोथ, पीपल, संचरनमक और भुनी हुई हींग को बराबर मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इसी बने चूर्ण में से 2 चुटकी बड़ों व्यक्तियों को (व्यस्क व्यक्ति) को 1 चुटकी छोटे बच्चों को गर्म पानी के साथ दिन में 2 बार सुबह और शाम पिलाने से लाभ होता है।
- आधा चम्मच बायविंडग को पीसकर शहद या पानी के साथ रात को सोने से पहले 4 दिन यानी 4 बार पीने से लाभ होता है।
- बायविंडग के 5 ग्राम चूर्ण को 10 ग्राम शहद के साथ प्रयोग करने से लाभ होता है।
- बायविंडग का चूर्ण थोड़ी-सी मात्रा में शहद के साथ दें।
- बायबिडंग, सेंधानमक, निशोथ, पीपल, सचर नमक और भुनी हुई हींग को बराबर मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण बना लें, फिर 3 ग्राम को खुराक के रूप में दिन में 2 बार यानी सुबह और शाम सेवन करने से पेट के कीड़े मर कर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।
- बायबिंड़ग 10 ग्राम, कमीला 10 ग्राम और ढाक के बीज 10 ग्राम को बराबर मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें, फिर एक साल पुराना गुड़ मिलाकर 6 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
- बायविंडग का पिसा हुआ चूर्ण 10 ग्राम और 10 ग्राम खाण्ड को मिलाकर सोने से पहले 2 ग्राम खुराक के रूप में लें।
- बायविंडग का चूर्ण और कबीले का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर शहद के साथ प्रयोग करने से लाभ होता है।
- बायविंडग का बारीक पिसा हुआ चूर्ण 5 ग्राम को 10 ग्राम शहद के साथ खा लें, फिर ऊपर से बायविंडग का काढ़ा बनाकर पीने से कीड़े मर जाते हैं।
- बायविंडग, हींग, पीपर, सेंधा नमक और कबीला आदि को बराबर रूप में लेकर पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर छाछ के साथ लगभग 6 ग्राम की मात्रा में आठ दिनों तक पीने से पेट की आंतों में फंसे कीड़े मर जाते हैं।
- बायविंडग, जवाखार, सेंधा नमक और हरड़ की छाल को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह पीसकर 6 ग्राम को खुराक के रूप में छाछ के साथ पीने से पेट के कीड़ों में लाभ होता है।
- बायविंडग, ढाक के बीज और इन्द्रजौ को बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, इसमें से 3 से 6 ग्राम चूर्ण को खांण्ड के साथ मिलाकर पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
77. पपीता :
- पपीते के 5-7 बीजों को ताजे पानी के साथ 5 दिन तक सेवन करने से पेट में कीड़ो के कारण होने वाला दर्द कीड़ों के मरने के साथ मिट जाता है।
- पपीता के बीजों को पीसकर चूर्ण बनाकर दो चुटकी खुराक के रूप में दिन में 3 बार पानी के साथ पीने से लाभ होता है।
- पपीते के 10 बीजों को पानी में पीसकर चौथाई कप पानी में मिलाकर पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। ऐसा प्रयोग लगातार 7 दिन तक करें।
- 10 से 15 पपीते के बीज को पानी में पीसकर 7 दिनों तक खाने से लाभ होता हैं।
- कच्चे पपीते के रस को शहद के साथ मिलाकर 125 मिलीलीटर से लेकर 250 मिलीलीटर की मात्रा में गर्म पानी मिला दें, फिर ठंडा होने पर नींबू का रस डालकर सेवन करने से लाभ होता है।
- पपीते के 10 बीजों को अच्छी तरह पीसकर 58 ग्राम से लेकर लगभग 90 ग्राम तक 15 दिनों तक पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
78. छोटी दुद्धी : छोटी दुद्धी का चूर्ण खाने से बच्चों के पेट के कीड़े मर जाते हैं।
79. काली अगद : काली अगद का काढ़ा बनाकर हींग का बारीक चूर्ण डालकर सेवन करने से आंतों के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
80. तस्तुम्बे : तस्तुम्बे के फल की गिरी को गर्म करके पेट पर बांधने से पेट की आंतों के कीड़े मर जाते हैं।
81. मसूर : मसूर की दाल को खाने से भी पेट के कीड़ों से छुटकारा मिलता है।
82. ढाक (टेसू) :
- ढाक के बीजों को पानी में भिगोकर रख लें, फिर सुखाकर चूर्ण बना लें, 3 दिन तक 2 ग्राम की मात्रा में दें, चौथे दिन एरण्डी का तेल पिलाने से आंतों में मौजूद लम्बे कीड़े मल के साथ बाहर निकल जाते हैं। इसे शहद के साथ देने से कीड़े समाप्त हो जाता है।
- ढाक (टेसू) के बीज का बारीक चूर्ण को एक ग्राम को खुराक के रूप में दिन में 3 बार गुड़ के साथ देने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- ढाक के पत्तों का रस या बीजों का रस शहद के साथ चाटने से पेट के अन्दर मौजूद कीड़ो को समाप्त करता है।
- ढाक के बीज और अजवायन को बारीक पीसकर सेवन करने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
83. अतीस : अतीस और बायविंडग का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में लेने पर यह पेट के कीड़ों को मारकर पेट के दर्द को शांत करता है।
84. उतरन : उतरन के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
85. पोहकर : पोहकर मूल और सहजने के बीजों का बारीक चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भागकी मात्रा में प्रयोग करने से पेट के कीड़ो से छुटकारा मिल जाता है।
86. मैनसिल : मैनसिल को सरसों के तेल में पीसकर लेप करने से सिर की जूं समाप्त हो जाती है।
87. धतूरा : धतूरे के पत्तों का पेस्ट (लुगदी) या धतूरे के पत्तों के रस के साथ पकाये हुए तेल की मालिश करने से सिर की जुएं तुरंत समाप्त हो जाती है।
88. कोहे : कोहे के फूल, बायविंडग, कलिहारी, भिलावे, खस, लोबान, राल और मैनफल आदि को बराबर मात्रा में लेकर आग मे डालकर धूनी (धुआं) देने से घर के मच्छर, खाट के खटमल, शरीर में लगाने से शरीर और कपड़ों की जुएं, जमजूं तथा लीख (डैनडरफ) समाप्त हो जाती हैं।
89. अर्जुन : अर्जुन के फूल, बायविंडग, जलपीपल, मोम, चंदन, राल, खस, कूठ और भिलावा को बराबर मात्रा में लेकर धूनी देने से मच्छर और कीड़े मर जाते हैं।
90. कपूर : कपूर का टुकड़ा दांत या दाढ़ पर लगाने से दांतों के कीड़े मरते हैं।
91. मां का दूध : मां के दूध में दो बूंदों को सोए के तेल के साथ मिलाकर बच्चों को पिलाने से पेट कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
92. पानी :
- एक गिलास शुद्ध पानी में, 6 ग्राम खुरासानी अजवायन और 10 ग्राम पुराने गुड़ को मिलाकर प्रयोग करने से पेट कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- खाना खाने के बाद आधे घण्टे के बाद गर्म पानी जितना गर्म पिया जा सके पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
93. ग्वारपाठा : ग्वारपाठा के फल को गाय के पेशाब में पीसकर दिन में 2 से 3 बार लगाने से जख्म होने वाले कीड़ो को समाप्त कर देता है।
94. समुद्रफल : समुद्रफल को घिसकर ठण्डे पानी के साथ प्रयोग करने से पेट कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
95. हल्दी : हल्दी को तवे पर अच्छी तरह से भूनकर रख लें, फिर आधा चम्मच की मात्रा में रात को सोने से पहले पानी के साथ पियें। इससे पेट कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
96. शहद :
- 2 चम्मच शहद को 250 मिलीलीटर पानी में डालकर दिन में 2 बार यानी सुबह और शाम पीने से लाभ होता है।
- थोड़ी मात्रा में सेवन करने से भी पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
97. पान : पान का रस पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
98. सूरन : सूरन का प्रयोग करने से पेट के कीड़े और बवासीर की शिकायत मिट जाती है।
99. दही : दही में असली शहद को मिलाकर 3 से 4 दिन तक दिन में सुबह और शाम पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
100. गन्ना : गन्ने के सिरके में 25 ग्राम कच्चे चने रात को भिगोंकर सुबह छानकर पीनें से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
101. गन्धक : 10 ग्राम गन्धक, 10 ग्राम पारा, 20 ग्राम कज्जली, 30 ग्राम अजमोद, बायविंडग 40 ग्राम, शुद्ध कुचिला 50 ग्राम, पित्तपापड़ा 60 ग्राम और पलास के बीजों को अच्छी तरह पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर एक ग्राम से लेकर 3 ग्राम तक मात्रा में नागरमोथा के काढ़े के साथ पीने से पेट में होने वाले कीड़े मरकर मल के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
102. चमेली : चमेली के 10 ग्राम पत्तों को पीसकर पीने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं और मासिक धर्म (माहवारी) भी साफ होता है।
103. दालचीनी : चौथाई चम्मच दालचीनी का चूर्ण, एक चम्मच शहद में मिलाकर प्रतिदिन दिन में एक बार से पेट के कीडे़ नष्ट हो जाते हैं।
104. प्याज व लहसुन का रस : प्याज व लहसुन का रस गरम पानी में मिलाकर पीने से लाभ होता है।
105. हरी मेथी : मेथी का सेवन पेट के कीड़ों में फायदेमन्द हैं क्योंकि मेथी का कड़वापन पेट के कीड़ों को खत्म करता है।
106. आम : कच्चे आम की गुठली का चूर्ण आधा ग्राम दही या पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से सूत जैसे कृमि नष्ट हो जाते हैं।
107. हींग : छोटे बच्चों के मल करने पर कीड़े दिखते है तो समझे कि उनके पेट में कीड़े है जिन्हें खत्म करने के लिए हल्का सा हींग खाने में दें और हींग के पानी में रूई को भिगोकर गुदा पर लगायें।
108. इन्द्रजौ : इन्द्र जौ के मूल को पानी में घिसकर अथवा उसमें बायविडंग का चूर्ण डालकर पिलायें।
109. धतूरा : धतूरा के पत्तों का रस 3-4 बूंद, आधा-आधा चम्मच अजवायन और शहद में मिलाकर सोते समय पिलाने से कुछ ही दिनों में पेट के सारे कीडे़ मल के साथ निकल जाते हैं।
110. छाछ :
- नमक और कालीमिर्च को पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर छाछ में मिलाकर रख लें, फिर 4 दिन तक पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- छाछ के साथ अजवायन का चूर्ण बनाकर पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
- छाछ में सेंधा नमक मिलाकर पीने से लाभ होता है।
- सेंधानमक, किरमानी अजवायन, बायविंडग आदि को मिलाकर बारीक चूर्ण बनाकर एक चौथाई ग्राम एक ग्राम की ग्राम को छाछ के साथ सुबह और शाम सेवन करें।
- गाय की छाछ में नमक मिलाकर सुबह के समय सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
111. धाय : धातकी के फूलों के चूर्ण को 3 ग्राम खाली पेट ताजे जल के साथ कुछ समय तक सेवन करने से पेट के कीडे़ मर जाते हैं।
112. चिरायता : चिरायता और आंवले से बनाया गया काढ़ा सोने से पूर्व एक कप की मात्रा में सेवन करने से पेट के कीड़ें समाप्त हो जाते हैं।
113. मूली : 50 मिलीलीटर मूली के रस में सेंधानमक और कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से आन्त्रकृमि (आंत के कीड़े) नष्ट होते हैं।
114. कागजी नीबू : प्रतिदिन 2 बार थोड़ा-थोडा नींबू का रस पीना चाहिए। इससे पेट कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
115. गाजर : 125 मिलीलीटर गाजर का रस रोजाना सुबह खाली पेट पीने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं। कच्ची गाजर खाना भी लाभकारी होता है जिन लोगों को गाजर हजम न हो वे गाजर का रस ही पिया करें। गाजर या किसी भी चीज की कांजी बनाकर कम से कम 5 हफ्तों तक लगातार पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
116. कालीमिर्च : एक कप मट्ठे के साथ 4-6 कालीमिर्च का चूर्ण रात को सोते समय लेने से पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
117. शहद : अजवायन का चूर्ण एक चुटकी को एक चम्मच शहद के साथ लेना चाहिए। दिन में 3 बार यह चूर्ण लेने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
118. अजमोद : बच्चों की गुदा में कृमि हो जाने पर अजमोद को अग्नि पर डालकर धुआं देने से तथा इसको पीसकर लगाने से आराम मिलता है।
119. कचनार : पीले कचनार की छाल 200 से 400 मिलीलीटर पानी में पकायें बचे हुए चौथाई भाग को पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
120. शरपुंखा:
- शरपुंखे के 10 मिलीलीटर क्वाथ में बायबिडंग का दो ग्राम चूर्ण मिलाकर रात्रि में सोने के समय पिलाने से बच्चों के पेट के कीड़े खत्म हो जाते है।
- इसके 5 से 10 ग्राम बीजों का प्रयोग गर्म पानी के साथ बच्चों के कृमिरोग में लाभ होता है।
121. अजवाइन :
- स्वच्छ अजवायन के महीन चूर्ण को तीन ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार यानी सुबह-शाम छाछ के साथ सेवन करने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
- एक चौथाई चम्मच नमकीन अजवायन बच्चों को दिन में 3 बार नियमित रूप से खिलाते रहने से कुछ ही दिनों में पेट के सारे कीडे़ मर जाएंगे और 4 या 5 बूंद अजवायन का तेल सोते समय देने से लाभ होगा।
- अजवायन के 2 ग्राम चूर्ण को बराबर मात्रा में नमक के साथ सुबह-सुबह सेवन करने से अजीर्ण (अपच), आमवात तथा कृमिजन्य रोग, आध्यमान, शूल आदि शांत होता है।
- पेट में जो हुकवर्म नामक कृमि होते हैं, उनका नाश करने के लिए अजवायन का सत् 125-लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग तक खाली पेट 1-1 घंटे के अंतर में 3 बार देने से और मामूली जुलाब (अरण्डी तैल नही दें) देने से सब कृमि निकल जाते है। यह प्रयोग, पीलिया रोगी, कमजोर और गर्भवती महिला पर नहीं करना चाहिए।
- अजवाइन का तेल 3 से 7 बूंद तक देने से हैजा तथा पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं। अजवाइन का चूर्ण 4 ग्राम छाछ के साथ देने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं। 25 ग्राम पिसी हुई अजवाइन 500 मिलीलीटर पानी में डाल कर रात को रख दें। सुबह इसे उबालें। जब चौथाई पानी रह जायें तब उतार कर छान लें। ठंडा होने पर पिलायें। यह बड़ों के लिए एक खुराक है। बच्चों को इसकी दो खुराक बना दें। इस तरह सुबह, शाम दो बार पीते रहने से पेट के छोटे-छोटे कृमि मर जाते है।
- अजवायन के आधा ग्राम चूर्ण में, समभाग कालानमक मिलाकर, रात्रि के समय रोज गरम पानी से देते रहने से बच्चों के पेट के कीडे़ नष्ट हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त अजवायन के पत्तों का पांच मिलीलीटर अजवायन का रस भी लाभकारी है।
122. सफेद पेठा : कुम्हड़े के बीज के बीच के भाग को दूध में पीसकर व छानकर और उसमें थोड़ा-सा शहद मिलाकर पिलाने से या सफेद पेठे के बीज के बीच के भाग का 12.5 ग्राम तेल 2-2 घण्टे के अंतराल से 3 बार दूध के साथ पिलाने और उस पर एरण्ड तेल का विरेचन (द्रव्य के रूप में) देने से पेट के भीतर रुके हुए कृमि (कीड़े) निकल जाते हैं।
123. कलौंजी : 10 ग्राम कलौजी को पीसकर 3 चम्मच शहद के साथ सोते समय कुछ दिन नियमित रूप से सेवन कराने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
124. कसौंदी : इसके 20 ग्राम पत्तों को 400 मिलीलीटर जल में पकाकर चौथे बचे भाग को पीने से पेट के कीडे़ खत्म होते है। इसके साथ दस्त को भी यह रोकता है।
125. अखरोट :
- कुछ दिनों तक शाम को 2 अखरोट खिलाकर ऊपर से दूध पिलाने से बच्चों के पेट में होने वाले कीड़े निकल जाते हैं।
- अखरोट की छाल या पत्तों का काढ़ा 60 से 80 मिलीलीटर की मात्रा में पिलाने से आंतों के कीड़े मर जाते हैं।
126. बच: 2 ग्राम बच के चूर्ण को सेंकी हुई हींग लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग के साथ खिलाने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
127. अमरबेल : अमरबेल और मुनक्कों को समान मात्रा में लेकर पानी में उबालें और काढ़ा तैयार होने पर छानकर तीन चम्मच रोजाना सोते समय दें। इससे पेट कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
128. पोदीना : पोदीने का रस कृमि (कीड़ें) नाशक, वायु विकारों (रोगों) को नष्ट करने वाला होता है। पोदीने के 5 ग्राम रस में नींबू का 5 ग्राम रस और 7-8 ग्राम शहद मिलाकर सेवन करने से उदर (पेट) के रोग दूर हो जाते हैं।
129. भांगरा : भृंगराज (भांगरा) के बारीक चूर्ण को एरण्ड के तेल के साथ सेवन करने से पेट के कीड़े नष्ट होकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।
130. कुटज : पेट में कीड़े होने पर कुटज के बीजों का चूर्ण आधा चम्मच की मात्रा में रोज सोने से पहले खाना चाहिए।
131. लता करंज : लता करंज के तेल पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
132. नारियल : नारियल के पानी को पीने तथा कच्चा नारियल खाने से पेट के कीड़े मल के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
133. सौंठ : सौंठ व बायविडंग का चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
134. परवल : 10-10 ग्राम कड़वे परवल के पत्ते और धनिये को लेकर रात को 100-120 ग्राम पानी में भिगोकर रखें। सुबह इसे छानकर इसमें शहद मिलाकर 3 हिस्से बनाकर दिन में 3 बार रोगी को देने से कीड़े नष्ट होकर मिटते हैं।
135. सोयाबीन: सोयाबीन की दही खाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
136. पलास : पलास के बीज, अजवायन, कबीला, बायविडंग, निसात, किरमानी को थोड़ी सी मात्रा में मिलाकर बारीक पीसकर रख लें, इसे लगभग 3 ग्राम की मात्रा में गुड़ के साथ लेने से पेट में सभी तरह के कीड़े खत्म हो जाते हैं अथवा पलास के बीजों के चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में दिन में 2 बार सेवन करने से पेट के सभी कीड़े मरकर बाहर आ जाते हैं।
137. एरण्ड : एरण्ड के पत्तों का रस रोजाना 2-3 बार बच्चे की गुदा में लगाने से बच्चों के चुनने (पेट के कीड़े) मर जाते हैं।
139. त्रिफला : त्रिफला, हल्दी और नीम को मिलाकर प्रयोग करने से कफपित्तज, कृमि (पेट के कीड़े), कोढ़ और दूषित जख्मों में लाभ देता है।
140. अश्वगंधा : अश्वगंधा चूर्ण में बराबर गिलोय का चूर्ण मिलाकर शहद के साथ 5-10 ग्राम नियमित सेवन करने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
141. अतीस : अतीस और बायबिडंग बराबर की मात्रा में पीसकर आधा चम्मच शहद के साथ सोते समय कुछ दिन नियमित देते रहने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाएंगे।
142. अरनी : छोटी अरनी के पत्तों का रस लगभग 40 मिलीलीटर की मात्रा में बच्चों को पिलाने से उनके पेट के कीडे़ नष्ट हो जाते हैं।
143. बिजौरा नींबू :
- नींबू बिजौरा के बीजों की 5-10 ग्राम की मात्रा में गिरी की फंकी गर्म पानी के साथ देने से आंतों के कीड़े मर जाते हैं।
- बिजौरे की सूखी छाल को पकाकर काढ़ा बनाकर पिलाने से पेट के अन्दर मौजूद कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
140.. शहतूत :
- शहतूत के पेड़ की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- 100 ग्राम शहतूत को खाने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
- शहतूत 20 ग्राम और 20 ग्राम खट्टे अनार के छिलके को उबालकर पीने से पेट के कीड़ें नष्ट हो जाते हैं।
- शहतूत के पेड़ की जड़ को पानी में उबालकर सेवन करने से आंतों के कीड़े समाप्त होते हैं।
अन्य उपचार :
- छोटे बच्चों का पेट साफ रखना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से अजीर्ण रोग के कारण पेट में उत्पन्न होने वाले कीड़े जन्म नहीं ले पाते हैं।
- बरसात के दिनों में पीने वाले पानी को गर्म करके ही पीना चाहिए।
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