चकोतरा – Chakotra
सभी रसदार फलों में चकोतरा सबसे बडे़ आकार का फल है। चकोतरा संतरे की प्रजाति का फल है। संतरे की अपेक्षा इसमें सिट्रिक अम्ल अधिक और शर्करा कम होती है। इसके अन्दर का गूदा पीले और गुलाबी रंग का होता है।
चकोतरे में नींबू और संतरे सभी के गुण मिलते हैं। इसकी बीजरहित किस्म में शर्करा की मात्रा अधिक होती है। इसका रस जूस निकालने वाली मशीन से निकालते हैं।
रंग : चकोतरा का छिलका पीला तथा अन्दर का भाग लाल रंग का होता है।
स्वाद : इसका स्वाद खट्टा और मीठा होता है।
स्वरूप : यह एक प्रकार का नींबू होता है।
स्वभाव : चकोतरा शीतल प्रकृति का होता है।
हानिकारक : इसका अधिक मात्रा में सेवन हृदय के लिए हानिकारक होता है।
दोषों को दूर करने वाला : गुड़ का सेवन करने से चकोतरा में व्याप्त दोष नष्ट हो जाते हैं।
तुलना : चकोतरा की तुलना अनन्नास से की जा सकती है।
गुण : चकोतरा प्यास को रोकता है। भूख बढ़ाता है। आमाशय को बलवान बनाता है। इसका छिलका मूर्च्छा बेहोशी और उन्माद (पागलपन) को मिटाता है। यह चेहरे के रंग को साफ करता है।
चकोतरे में पाये जाने वाले तत्व
तत्व |
मात्रा |
तत्व |
मात्रा |
प्रोटीन |
0.7 प्रतिशत |
कैल्शियम |
लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग /100 ग्राम |
वसा |
0.1 प्रतिशत |
फॉस्फोरस |
लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग /100 ग्राम |
कार्बोहाइड्रेट |
7.0 प्रतिशत |
लौह |
लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग /100 ग्राम |
पानी |
92.0 प्रतिशत |
विटामिन-सी |
लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग /100 ग्राम |
लवण |
0.2 प्रतिशत |
विटामिन-पी |
अल्प मात्रा में |
विटामिन-बी कॉम्प. |
अल्प मात्रा में |
विटामिन-ए |
अल्प मात्रा में |
विभिन्न रोगों में उपयोग करने से लाभ :
1. मधुमेह : मधुमेह रोग में चकोतरा का उपयोग करने से शरीर में स्टार्च की मिठास और वसा में कमी आती है। इससे शरीर में मधुमेह पर नियंत्रण रखने में मदद मिलती है। यह भूख को बढ़ाता है।
2. बुखार में प्यास लगने पर : चकोतरे के रस का थोड़ा-सा पानी मिलाकर पीने से बुखार दूर हो जाता है और अधिक प्यास लगना बंद हो जाता है।
3. मलेरिया :
- मलेरिया के बुखार में चकोतरे का रस पीना लाभकारी रहता है क्योंकि इसके रस में मलेरिया को समाप्त करने वाला तत्व कुनैन होता है।
- चकोतरे का रस गर्म करके पीने से भी मलेरिया में लाभ होता हैं।
4. जुखाम : जुखाम से बचने के लिए भी चकोतरा का सेवन बहुत ही उपयोगी होता है।
5. शरीर की थकावट: चकोतरे के रस में समान मात्रा में नींबू का रस मिलाकर पीने से शरीर की थकावट दूर होती है।
6. पेशाब रुक–रुककर आना:
- पेशाब के रुक-रुककर आने (मूत्रावरोध) पर रोगी को चकोतरे का 250-300 मिलीमीटर रस रोजाना देने से लाभ होता है। चकोतरा में विटामिन `सी´ व पोटैशियम अधिक मात्रा में होने के कारण यह इस रोग में लाभकारी होता है।
- अन्य फलों के समान चकोतरे को बहुत ही कम खाया जाता है क्योंकि इसका स्वाद अटपटा होता है लेकिन इसका छिलका तथा फांकों की झिल्ली उतारकर इसका सेवन करके लाभ उठाया जा सकता है।
7. दमा व सांस रोग: चकोतरा के रस का शर्बत बना लें। यदि सर्दी या बरसात का मौसम हो तो पानी मत मिलाएं और अकेले ही शर्बत को चाटते रहें। इसका रस 5-5 ग्राम की मात्रा में आठ दिनों तक रोगी को दें। यदि खांसी, बलगम से ज्यादा परेशानी हो तो आम की गिरी के चूर्ण (पांच ग्राम) की फंकी चकोतरा के शर्बत की चाशनी में मिलाकर चटायें। गर्मियों में इसके रस में मटके का पानी मिलाकर शर्बत बनाकर पीने से खांसी नष्ट हो जाती है तथा दमा भी समाप्त होता है।
8. काली खांसी : आधा से 1 चम्मच महानींबू (चकोतरा) के पत्तों का रस सुबह-शाम शहद के साथ रोगी को देने से बेहोशीयुक्त खांसी तथा कुकुर खांसी मिट जाती है। यह महानींबू (बिजौरा नींबू) से भी बड़ा 6 से 8 इंच के व्यास वाला होता है।
9. खांसी : बेहोशीयुक्त खांसी में महानींबू (चकोतरा) के पत्तों का रस आधा से एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम शहद के साथ मिलाकर देने से रोग में लाभ मिलता है।
10. उंगुलियों का कांपना : 10 से 20 मिलीलीटर महानींबू (चकोतरा) के पत्तों का रस सुबह-शाम सेवन करते रहने से उंगुलियों का कांपना ठीक हो जाता है।
11. गठिया रोग : गठिया के रोग को दूर करने के लिए नींबू, सन्तरा, मुसम्मी, चकोतरा आदि फलों के रस का सेवन करना लाभकारी होता है।
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