Depression Se Bahar Kaise Nikle Hindi Guide – क्या अचानक आपको ऐसा महसूस होने लगा है जैसे आपकी दुनिया ख़त्म हो गई है! तो आप अकेले नहीं हैं — डिप्रेशन एक बहुत गंभीर और आम बीमारी है, जिससे दुनिया की लगभग 10% आबादी प्रभावित हैं। डिप्रेशन एक बहुत गंभीर बीमारी है। यदि इसे बिना इलाज के छोड़ दिया जाये, तो यह आपके जीवन के हर पहलु पर भारी दुष्प्रभाव डाल सकता है। ऐसा न होने दें। अपने डिप्रेशन से लड़ें, यहाँ दिए कदमो का अनुसरण करें।
अगर आपको आत्महत्या करने के विचार आ रहें हो, तो तुरंत मदद लें। आपात कालीन सेवा को फ़ोन करें, या तुरंत पास के अस्पताल से सहायता लें।
Step One डिप्रेशन को पहचानें – Depression ko Pahchane
1. उदासी और डिप्रेशन के अंतर को समझें: हाँ, नौकरी छूट जाना, किसी अजीज का दूर हो जाना, बुरे सम्बन्ध, कोई दुखद घटना, या अन्य कोई तनाव जैसे एक व्यक्ति की उदासी के कई कारण हो सकते है। हम सभी कभी न कभी उदासी का सामना करते हैं। कभी कभार उदास होना सामान्य है। समस्या तब होती है जब आप उसी से चिपके रहें। लगातार उदासी में बने रहना ही डिप्रेशन है। इसके अतिरिक्त, आप डिप्रेस और उदास हो सकते है, जिसका कोई कारण भी ना हो। इस स्थिति से बाहर निकलने और डिप्रेशन से लड़ने के लिए, आपको इसके बारें में ज्यादा समझना होगा।
- जब आप उदास होते हैं, तो आपकी भावनाएं किसी विशेष घटना या स्थिति के कारण जाग्रत होती हैं। एक बार वो घटना बदलने पर, या समय बीत जाने पर, उदासी भी दूर हो जाती है।
- दूसरी ओर डिप्रेशन, आपके विचारों, भावनाओं, समझ और व्यवहार को प्रभावित करता है। आप सिर्फ एक बात के बारे में उदास महसूस नहीं करते, आप हर चीज को लेकर उदास महसूस करते हैं। और आपके इस मूड से बाहर आने के प्रयत्न के बाबजूद, वो भावना आपका पीछा नहीं छोड़ती। वास्तव में, आप डिप्रेस्ड महसूस करते हैं और आपको उसका कारण भी पता नहीं होता।
2. जुकाम की तरह डिप्रेशन एक शारीरिक बीमारी है, इसे स्वीकार करे: डिप्रेशन सिर्फ “मानसिक बीमारी” नहीं है। शोध दिखातें है कि यह एक शारीरिक बीमारी है, और इसलिए इसमें चिकित्स्कीय सलाह लेना आवश्यक है। वास्तव में ये हो रहा होता है:
- न्यूरोट्रांसमीटर मस्तिष्क की कोशिकाओं के बीच सन्देश प्रसारित करने वाले रासायनिक संदेशवाहक होते है। ऐसा माना जाता है कि न्यूरोट्रांसमीटर के असामान्य स्तर की डिप्रेशन में भूमिका होती है।
- हार्मोन्स के संतुलन में परिवर्तन भी डिप्रेशन का कारण हो सकता है। थाइराइड की समस्या, मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति), या हाल ही की गर्भावस्था इन परिवर्तनों में शामिल हो सकती है।
- डिप्रेशन के शिकार लोगों के दिमाग़ में दैहिक परिवर्तन देखे गए हैं। इनकी महत्ता ज्ञात नहीं है, पर ये पर्यवेक्षण किसी दिन डिप्रेशन के सही कारणों का खुलासा कर सकतें हैं।
- डिप्रेशन प्रायः परिवारों में होता है। इससे पता लगता है, कि कोई विशिष्ट जींस डिप्रेशन से सम्बन्ध रखते हैं, शोधकर्ता इनकी पहचान करने के लिए तत्परता से काम कर रहे है।
- यह जानना कि डिप्रेशन अनुवांशिक होता है, और इस वजह से आपके बच्चो के इसका शिकार होने की सम्भावना अधिक है, आपको अपराधबोध में डाल सकता है। याद रखें की आपका अपनी अनुवांशिकता पर कोई नियंत्रण नहीं है। इसमें आपकी कोई ग़लती नहीं है। इसकी बजाय उस चीज पर नियंत्रण जिस पर आप कर सकते है। डिप्रेशन से उबरने में आदर्श बने, और मदद लें।
3. इसके संकेतों को समझना सीखे: यह समझना महत्वपूर्ण है कि डिप्रेशन उतना ही अनोखा हो सकता है जितना इससे पीड़ित व्यक्ति। हर व्यक्ति एक जैसे लक्षणों का अनुभव नहीं करेगा – कुछ व्यक्ति कुछ लक्षणों की कम तीव्रता महसूस करेंगे और दूसरे लोग अधिक गंभीर लक्षणों को महसूस करेंगे। कुछ लोग, जीवन में सिर्फ एक बार डिप्रेशन का अनुभव करते हैं, जबकि कुछ लोग डिप्रेशन के दीर्घकालिक लक्षणों का अनुभव करते हैं। डिप्रेशन के संकेत और लक्षण निम्न होते हैं:
- निरंतर उदासी या खालीपन
- भूख में परिवर्तन (बहुत ज्यादा या बहुत कम खाना)
- वजन में अस्थिरता
- नींद में खलल पड़ना
- निराशा या निराशावाद
- थका हुआ या ऊर्जा की कमी महसूस करना
- खुद को बेकार, अपराधी या बेबस महसूस करना
- सामान्यतः आनंददायक क्रियाओं में रूचि की कमी होना
- निर्णय लेने में और ध्यान लगने में समस्या होना
- बेचैनी और चिड़चिड़ापन
- आत्महत्या के विचार आना
- शारीरिक लक्षण, जैसे दर्द या सिरदर्द
Step Two किसी चिकित्सक से मिलें – Dr se mile
1. अपने चिकित्सक से समय लें: डिप्रेशन दूसरी मानसिक और शारीरिक समस्याओं का कारण बन सकता है। अपने अनुभवों को चिकित्सक से बांटना महत्वपूर्ण है। आपका चिकित्सक आपके डिप्रेशन के दैहिक कारणों से इन्कार कर सकता है।
- आवश्यक होने पर रेफरल लें: आपका सामान्य चिकित्सक आपको किसी मनोरोग विशेषज्ञ से मिलने की सलाह दे सकता है, जो आपका बेहतर इलाज कर सके।
2. अपने लिए समय के लिए तैयारी करें: चिकित्सकों का समय जल्दी निकल जाता है, ये रहे समय का सही उपयोग करने के कुछ तरीके:
- अपने लक्षण लिख लें।
- महत्वपूर्ण घटनाओं समेत अपने जीवन की आवश्यक व्यक्तिगत जानकारियां को लिख लें।
- विटामिन और सप्लीमेंट्स समेत, अपनी दवाएं लिख लें।
- चिकित्सक से पूछने के लिए अपने प्रश्नों को लिख लें। चिकित्सक के लिए आपके प्रश्न निम्न हो सकते हैं
- क्या मेरे लक्षणों का सबसे सम्भव जवाब डिप्रेशन है?
- आप मेरा क्या इलाज करेंगे?
- मुझे किन टेस्टों की जरूरत है?
- मेरी अन्य स्वास्थ्य स्तिथियों के साथ मैं कैसे अच्छे से अपने डिप्रेशन का प्रबंधन कर सकता हूँ?
- क्या आप किसी वैकल्पिक या पूरक इलाज की सलाह देते है?
- क्या आपके पास ऐसी कोई लिखित सामग्री है जिसे मैं घर ले जा सकूँ? क्या आप किसी वेबसाइट की सलाह देते हैं?
- क्या आपके पास कोई स्थानीय सहायक समूह है जिसकी आप सलाह देते हों?
- चिकित्सक के पास भी आपसे पूछने के लिए प्रश्न हो सकते है। इन सवालों के लिए तैयार रहें
3. किसी को अपने साथ आने को कहें: किसी विश्वस्त मित्र या परिवार के सदस्य को डॉक्टर से मिलने जाते हुए साथ ले जाएँ। वो आपको डॉक्टर को बताने की बातों की याद दिलाने में मदद कर सकते है, और डॉक्टर की कही बातें आपको याद दिलाने में भी मदद कर सकते है।
4. अपने डॉक्टर से मिलने जाएँ: मनोवैज्ञानिक जांच के अतिरिक्त, आपको लम्बाई, वजन और ब्लड प्रेशर की जांच; और ब्लड काउंट और थाइराइड की जांच समेत अन्य प्रयोगशाला जांचों की भी जरूरत पड़ सकती है।
Step Three जीवनचर्या में परिवर्तन – Jivan Parivartan
1. अपनी दवायें लें: यदि आपके डॉक्टर ने डिप्रेशन के लिए आपको दवाये दी हों, तो बताये गए समय और मात्रा में दवायें लें। डॉक्टर से बात करे बिना दवाये लेना बंद न करें।
- यदि आप गर्भस्थ होना चाह रहे हों या गर्भस्थ हो, तो अपनी दवाओं के बारें में डॉक्टर से बात करना महत्वपूर्ण है। कुछ एंटीडिप्रेसेंट आपके अजन्मे बच्चे की सेहत पर बड़े स्वास्थ्य जोखिम का कारण बन सकतें है। आपको अपने डॉक्टर से बात करके अपने और बच्चे के लिए सबसे अच्छी दवाये और इलाज की तलाश करनी होगी।
2. नियमित मनोचिकित्सा में सम्मिलित हों: मनोचिकित्सा, जिसे टॉक थैरेपी, काउन्सलिंग या साइकोसोशल थैरेपी भी कहते हैं, डिप्रेशन के इलाज़ का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। मनोचिकित्सा आपके डिप्रेशन के लक्षणों में राहत देने के अलावा आपके जीवन में संतुष्टि और नियंत्रण की भावना भी दुबारा लाने में मदद करता है। यह आपको भविष्य के तनावों से निबटने के लिए बेहतर ढंग से तैयार भी करता है।
- काउन्सलिंग सत्रों के दौरान, आप अपने व्यवहार और विचारों, और सम्बन्ध और अनुभवों का पता लगाएंगे। यह समय आपको अपने डिप्रेशन और चुनावों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा। आप जीवन की समस्याओं का सामना करने और उन्हें सुलझाने के बेहतर तरीके सीखेंगे और वास्तविक लक्ष्य निर्धारित करना भी सीखेंगे यह सब आपको ज्यादा सशक्त और खुशनुमा बनाएगा।
- अपनी थैरेपी के सत्रों में जाने की इच्छा न होने पर भी जाएँ। प्रभावी इलाज के लिए नियमित उपस्तिथि बहुत महत्वपूर्ण है।
3. एक सहायता समूह बनाये: यह स्वीकार करना कि आप डिप्रेस्ड है कठिन है। किसी और को यह बताना तो और भी ज्यादा कठिन है, पर यह बहुत महत्वपूर्ण है। विश्वासपात्र मित्रों, रिश्तेदारों और आध्यात्मिक गुरुओं की तलाश करें। आपको इस संघर्ष में एक सहयोगी की जरूरत पड़ेगी, एक से ज्यादा सहयोगी हो तो और भी बेहतर हो। उन्हें सीधे तौर पर बताएं और मदद मांगे कि आप दीर्घकालिक उदासी या डिप्रेशन से जूझ रहे है। आपका सहायता समूह आपके रोजमर्रा के डिप्रेशन से संघर्ष में आपको सँभलने में सहायता करेगा।
- अपने डिप्रेशन पर बात करने से सिर्फ आपको ही फायदा नहीं होगा। अधिकांशतः डिप्रेशन का कष्ट अकेले ही उठाया जाता है। दूसरों से अपनी समस्या पर बात करके आप इसे समाप्त कर सकतें है।
4. रोज सकारात्मक कल्पनायें करने का अभ्यास करें: क्लिनिकल भाषा में इसे कॉग्निटिव बिहेवियरल थैरेपी (cognitive behavioral therapy) कहते है, और यह डिप्रेशन के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली सबसे आम थैरेपी है। यह अपने नकारात्मक व्यवहारों और विश्वासों को पहचानने; और उन्हें सकारात्मक और स्वास्थ्यप्रद विचारो से बदल देने का एक जागरूक प्रयास है। आखिर में, आप सभी अनचाही स्तिथियों को नियंत्रित नहीं कर सकते, पर आप उन स्तिथियों से निबटने और सोचने के अपने तरीकों पर नियंत्रण कर सकते हैं।
- सकारात्मक कल्पना के अंपने अभ्यास में बेहतरीन बनने के लिए, काउंसलर या थैरेपिस्ट की मदद लें, जो आपको अपने जीवन की नकारात्मक स्तिथियों को पहचानने और उनको सकारात्मक तरह से देखने में मदद कर सकतें है।
- सकारात्मक सोच के अभ्यास में बेहतरीन बनने के लिए, किसी काउंसलर या थेरेपिस्ट की सहायता लें, जो आपके जीवन की नकारात्मक स्थिति को पहचानने और आपको उन्हें सकारात्मक नजरिये से देखने में आपकी सहायता कर सके।
5. व्यायाम करें: शारीरिक गतिविधियाँ डिप्रेशन के लक्षणों को कम करतीं हैं इसलिए तैयार हो जाएँ। कुछ ऐसी चीजे ढूढ़े जो आप नियमित (हफ्ते में कुछ बार) करने का आनंद उठा सकें, जैसे:
- टहलना या घूमने जाना
- जॉगिंग
- टीम में खेले जाने वाले खेल (टेनिस, बॉलीबाल, फुटबॉल आदि)
- बागवानी
- तैराकी
- वजन नियंत्रित करने का प्रशिक्षण
6. अपने तनाव को संभालें: ध्यान, योग या ताई ची का अभ्यास करें। जीवन में संतुलन बनायें। अगर जरूरी हो तो अपने दायित्वों को कम करें। खुद का ध्यान रखने के लिए समय निकालें।
- तीन महीने के एक अध्ययन के बाद, जिस महिला ने योग का अभ्यास किया उसके तनाव, चिंता और अवसाद में कमी देखी गई और उसकी ऊर्जा और स्वास्थ्य में सुधार देखा गया।
7. नींद लें: सम्पूर्ण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त नींद लेना बहुत महत्वपूर्ण है। अगर आपको नींद आने में परेशानी हो तो अपने डॉक्टर से बात करें।
8. बाहर निकलें: जब आप डिप्रेस्ड हों ऐसे में बाहर निकलने की सोचना मुश्किल काम है, पर खुद को अलग थलग न पड़ने देना महत्वपूर्ण है बाहर जाने और कुछ करने का प्रयास करें, और मित्रो तथा परिवार के संपर्क में रहें।
- शोध द्वारा पता लगा हैं कि किसी समूह के साथ प्राकृतिक माहौल में टहलने से डिप्रेशन और तनाव में कमी आ सकती है और मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है।
9. एक जर्नल (डायरी) रखें: अपने विचारों और उनके आपके मूड पर होने वाले प्रभावों से अवगत होना, आपके डिप्रेशन से संघर्ष में महत्वपूर्ण है। अपने विचार लिखने और उन पर काम करने के लिए एक जर्नल रखने पर विचार करें।
- अपने जर्नल को थैरेपिस्ट को दिखाने पर सोचें।
- अपने जर्नल लिखने के समय को सकारात्मक कल्पना के अभ्यास का समय के रूप में इस्तेमाल करें।
10. किसी भी ड्रग्स का दुरूपयोग बंद करें: शराब, निकोटीन या अवैध ड्रग्स का दुरूपयोग डिप्रेशन के जोखिम को बढ़ाता है। जहाँ इन चीजो का उपयोग अस्थाई रूप से डिप्रेशन के लक्षणों पर पर्दा डाल सकता है, दीर्घकाल में ये डिप्रेशन को और ख़राब स्थिति में पंहुचा देंगे। यदि आपको यह छोड़ने में मदद की आवश्यकता हो, तो किसी स्थानीय नशा मुक्ति केंद्र से संपर्क करें।
11. अच्छा खाएं: स्वास्थ्यवर्धक खाना खाएं और अपने विटामिन्स लें। अच्छा शरीर ही अच्छे दिमाग की नींव है। खुद का ध्यान रखें।
- बेहतर सम्पूर्ण स्वास्थ्य और मूड में सुधार के लिए फलों, सब्जियों, मछली, हलके मीट और साबुत अनाज से भरपूर आहार का आनंद लें।
12. अपने दिमाग और शरीर के संपर्क को मजबूत करें: पूरक और वैकल्पिक चिकित्सक मानते है कि शरीर और दिमाग के बीच समरसता होनी ही चाहिए। दिमाग और शरीर के संपर्क को बेहतर बनाने की तकनीकों में शामिल है:
- एक्युपंचर
- योग
- ध्यान
- निर्देशित कल्पना
- मसाज थेरेपी
Warning – सलाह
- अगर आपको आत्महत्या के विचार आ रहें है, तो तुरंत किसी को बुलाएँ। आपात कालीन नंबर पर या निकट के अस्पताल में फ़ोन करें।
Source : wikihow.com
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